औरंगाबाद : ” हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए ” कवि दुष्यंत की इन पंक्तियों को चरितार्थ कर रहे हैं ग्रामीण क्षेत्र में रहकर प्राथमिक विद्यालय गुली विगहा के प्रधान शिक्षक गोपेंद्र कुमार गौतम। गांव में गरीबी और दुश्वारियों के बीच गरीबों को शिक्षा देने का जो प्रण गौतम ने लिया, उसको पिछले ग्यारह वर्षों से लगातार बड़े ही तन मन और धन से पूरा कर रहे हैंI बच्चे घटते बढ़ते रहे पर उनके जुनून में कोई कमी नहीं आई। आज भी अपने कर्म पथ पर पूर्ण तत्परता के साथ अडिग हैं I वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी, अगर इंसान कुछ ठान ले तो उसके लिये कुछ भी नामुमकिन नहीं। गोपेंद्र एक ऐसे ही शिक्षक है जो अपने गांव में शिक्षा का ज्योतिपुंज जला बदलाव की कहानी लिख रहे हैं वह भी निशुल्क। दाउदनगर प्रखंड के मनार पंचायत के गांव देवदत्तपुर में मदर टेरेसा से प्रेरित अपने सहपाठी के सलाह पर भूगोल विषय से यूजीसी नेट पास गोपेन्द्र कुमार गौतम द्वारा 17 मई 2011 को देवकुल सामाजिक विकास व शोध संस्थान के बैनर तले गुरुकुल की शुरुआत आठ बच्चों के साथ की गयी थी। जो कभी 80 बच्चों तक पहुंच गया था। आज भी अच्छे तादाद में बच्चे इनसे शिक्षा पा रहे हैंl इनके संस्था से देवदत्तपुर,एकौनी,बुकनापुर हरंगी बिगहा आदि गांवों के बच्चों को लाभ मिलता रहा है। श्री गौतम क़ा कहना है कि जिस किसी भी बच्चे या माता-पिता को लगता हो की बच्चों के पढ़ाने में वे असमर्थ हैं , उनके लिए गुरुकुल का दरवाजा हमेशा खुला रहता है।(निःशुल्क शिक्षा का अलख निःशुल्क शिक्षा का अलख)
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गुरुकुल में बच्चों को शिक्षा देने के साथ साथ उनमें सामुदायिकता सामाजिकता भाईचारा राष्ट्रवादीता की भावना आदि गुणों का विकास किया जाता है। बच्चों का सतत मूल्यांकन किया जाता है, ताकि उनकी कमजोरियों को जानकर समय रहते दूर किया जाए I गुरुकुल के छात्रा रही निशा कुमारी मैट्रिक परीक्षा में अभी तक अपने गांव में सर्वाधिक अंको से पास होने वाली छात्रा बनी जिसने लगभग 88 फ़ीसदी अंक प्राप्त किया। श्री गौतम बताते हैं की जब वर्ष 2011 में मगध विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर लौटने पर बीपीएससी एवं जेपीएससी की मुख्य परीक्षा के परिणाम का इंतजार कर रहा थे इसी बीच खाली समय के सही उपयोग के बारे में सोच रहे थे की इसी दौरान उनकी सहपाठी रही कामिनी कुमारी ने उन्हें सुझाया की गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान करने से बेहतर समय का कोई सही उपयोग नहीं हो सकता है। बस फिर क्या था अपने मित्र की सलाह पर अमल करते हुए मदर टेरेसा की भांति आसमान को छत मानकर 8 बच्चों को साथ लेकर गुरुकुल के नीव डाल दिया। यही नही बल्कि श्री सिन्हा के इस नेक और सकारात्मक उद्देश्य से जुड़े इस कार्य में इनकी माता कुमारी भाग्य सिन्हा,पिता देवेंद्र कुमार सिन्हा भाई विवेक एवं बहन सुनीता के साथ-साथ मित्र सोनपुर रेल मंडल में पदस्थापित वरीय डीपीओ अजीत कुमार, सीआरपीएफ कमांडेंट ओंकार नाथ सिंह,कमांडेंट कुमारी प्रतिभा यादव, डीपीओ अशोक कुमार एवं सिन्हा कॉलेज औरंगाबाद में पदस्थापित असिस्टेंट प्रोफेसर विजय कुमार का साथ मिलता है। गौरतलब हो की शादी के बाद श्री गौतम की जीवन संगिनी सुप्रिया कुमारी भी इस नेक दिल कार्य में सहयोग करती है। श्री गौतम के अनुसार वे बच्चों में देशभक्ति, सामाजिक व धार्मिक सौहार्द, मानवता का विकास,भाईचारा, स्वच्छता का विकास आदि मूल्यों को स्थापित करना चाहते हैं।