पटना डेस्क: बिहार में 1 लाख 70 हजार 461 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है. इसके लिए बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन की ओर से विज्ञापन भी निकाल दिया गया है. इसमें यह बाध्यता थी की वही अभ्यर्थी फार्म भर सकते हैं जो बिहार के निवासी हैं। लेकिन 23 जून को पटना में हुई महागठबंधन की बैठक के बाद नियमावली में परिवर्तन कर दिया गया. अब पूरे देशभर के छात्र इसमें फार्म भर सकते हैं. अब इसको लेकर बिहार के अभ्यर्थियों में आक्रोश देखा जा रहा है।
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दरअसल, इससे एक कदम आगे विवाद और भी गहरा होता हुआ तब नजर आया जब बिहार के शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर ने कहा कि कई विषयों को पढ़ाने के लिए बिहार के छात्र योग्य नहीं है। शिक्षक भर्ती नियमावली में बदलाव के बाद शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट तौर कहा कि बिहार के छात्रों में गणित, साइंस और अंग्रेजी पढ़ाने के लिए बिहार के छात्र योग्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि योग्य अभ्यर्थियों के नहीं मिलने के कारण इन विषयों की सीटें खाली रह जातीं थीं. इसके बाद सरकार ने इस तरह का निर्णय लिया है।
वहीं, अभियर्थियो ने बयान पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर पर निशाना साधा. अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री को मानसिक दिवालिया घोषित करते हुए कहा कि मंत्री बिहार के इतिहास का अध्ययन करें. आर्यभट्ट और चाणक्य की धरती का मंत्री ने अपमान किया है. लाखों अभ्यर्थी बिहार का अपमान नहीं सहेंगे. अभ्यर्थियों ने सीएम नीतीश कुमार को शिक्षा मंत्री का विभाग बदलने के लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। अभ्यर्थियों ने चंद्रशेखर को पशुपालन मंत्री बनाने की मांग की है।
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वहीं, बिहार सरकार के इस निर्णय का बीजेपी विरोध कर रही है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है की नीतीश कुमार बिहार के छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. वहीं, बीजेपी विधायक नितिन नवीन ने कहा है कि सीएम नीतीश पीएम बनने की लालसा में बिहार के शिक्षक अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ मजाक कर रहे हैं।