झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार द्वारा शुरू की गई ‘मंइयां सम्मान योजना‘ हाल ही में विवादों के केंद्र में रही है। इस योजना के तहत 18 से 50 वर्ष की महिलाओं को मासिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसे हाल ही में 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये प्रति माह किया गया है | विपक्षी दल भाजपा ने इस योजना पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि सरकार चुनाव से पहले मुफ्त रेवड़ियां बांट रही है और अब अयोग्य लाभार्थियों से राशि वसूलने की तैयारी कर रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने दावा किया कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अयोग्य लाभार्थियों को चिन्हित कर उनसे प्राप्त राशि की वसूली की जाए। इन आरोपों के बीच, झारखंड हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें इस योजना पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हालांकि, हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया, जिससे सरकार को राहत मिली। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस फैसले को ‘मंइयां’ (माताओं) की जीत और ‘तानाशाह’ की हार बताया। सरकार का दावा है कि इस योजना से राज्य की 42 लाख से अधिक महिलाएं लाभान्वित हो चुकी हैं, और यह महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की है कि यदि उनकी सरकार फिर से सत्ता में आती है, तो प्रत्येक परिवार को सालाना एक लाख रुपये तक की सहायता दी जाएगी। इन घटनाक्रमों के बीच, ‘मंइयां सम्मान योजना‘ राज्य में राजनीतिक बहस का प्रमुख मुद्दा बनी हुई है, जहां एक ओर सरकार इसे महिलाओं के सशक्तिकरण का माध्यम मानती है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी लाभ के लिए उठाया गया कदम करार देता है।

चारा घोटाले में बड़ा कदम: बिहार सरकार करेगी 950 करोड़ की रिकवरी
बिहार के चर्चित चारा घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है। राज्य सरकार अब इस मामले में 950 करोड़ रुपये की वसूली के लिए कोर्ट जाने की