रांची। होटल प्रबंधन संस्थान द्वारा यात्रा, पर्यटन, आतिथ्य एवं संस्कृति-2022 पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में आप सभी के बीच आकर मुझे अपार खुशी हो रही है।यह बातें मुख्य अतिथि बतौर उपस्थित राज्यपाल श्री रमेश बैस ने कही। उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया कि होटल प्रबंधन संस्थान अपनी स्थापना के बाद से आतिथ्य और होटल प्रशासन के ज्ञान को बढ़ावा देने, उसे प्रसार करने तथा व्यावसायिक शिक्षा एवं ज्ञान के उच्च स्तर को स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। भारत की संस्कृति व सभ्यता संपूर्ण विश्व में सराही जाती है। हमारी सांस्कृतिक कलाओं की पूरे विश्व में एक पहचान है। चाहें वो अहिंसा का नारा हो या फिर वसुधैव कुटुम्बकम (संपूर्ण विश्व हमारा परिवार है) हो, इन सभी विचारों ने हमारी ही पावन माटी में जन्म लिया है। आतिथ्य का हमारे समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे दर्शन में “अतिथि देवो भवः” का उल्लेख है, जिसका अर्थ है “अतिथि भगवान होता है”। “अतिथि देवो भवः” हमारे देश की उन सशक्त विचारों में से है जो हमारे देश के नैतिक मूल्यों को और भी प्रबल बनाते हैं। भारत में पर्यटन के विकास में इस भाव व दृष्टि का अहम योगदान रहा है। हमारा देश धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यन्त समृद्ध है। यहाँ बड़ी संख्या में विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल होने के साथ विभिन्न धर्मों के प्रवर्त्तकों की जन्मस्थली भी है, जिससे अन्य एशियाई देशों के पर्यटक काफी संख्या में आते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि पर्यटन आदिकाल से ही मनुष्यों का स्वाभाव रहा है। आधुनिक युग में पर्यटन संबंधी सभी मिथ्या समाप्त होने तथा आवागमन के साधनों के क्षेत्र में आए भारी बदलावों के कारण पर्यटन एक व्यवसाय के रूप में देखा जाता है। आधुनिक युग में पर्यटन को एक व्यवसाय का रूप देने में लोगों की बढ़ती आर्थिक समृद्धि का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि झारखंड प्रदेश भारत ही नहीं, विश्व के लिए भी एतिहासिक है। झारखंड के पठार, पर्वत हिमालय से भी पुराना है। मैंने सचिव, पर्यटन से झारखंड में पर्यटन के क्षेत्र में हुए कार्यों की जानकारी प्राप्त की। बिहार में जिस प्रकार बुद्धिस्ट सर्किट है, उसी तरह इस राज्य में भी धार्मिक एवं प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर महत्वपूर्ण जगहों का सर्किट बनाया जा सकता है। आज का जमाना मार्केटिंग और पब्लिसिटी का है। साहेबगंज में फॉसिल्स पार्क है जो करोड़ों साल पुराना है जिसे हम अब तक राष्ट्रीय स्तर पर नहीं ले जा सके हैं।