मीडिया दर्शन/नौहट्टा| प्रखंड क्षेत्र में लगभग पैंतीस वर्षों से ईख की खेती प्रभावित है। जिससे क्षेत्र के किसानों की माली हालत खराब है। स्वतंत्रता के पहले एक रुपये नब्बे पैसे प्रति क्विंटल ईख बेचकर किसान साल भर अपने भरण पोषण का खर्च करने के बावजूद भी बचत करते थे। 1984 तक ईख की कीमत बीस रुपये प्रति क्विंटल थी। डालमिया नगर स्थित चीनी मिल चालू रहने के कारण प्रखंड में व्यापक पैमाने पर ईख की खेती होती थी। 1927 में रोहतास तक छोटी रेल लाइन से पचास हजार टन ईख डालमिया फैक्ट्री को जाता था। 1927 में कंपनी ने चुटिया ( तिउरा पीपरा डीह ) तक रेल का विस्तार किया। जिससे डालमिया नगर रेलवे लाइन पर चलने वाली माल गाड़ी से एक लाख टन से अधिक ईख रेलवे द्वारा डालमियानगर को जाता था। किसान ईख बेचने के बाद भी अपने खेतों में डेढ़ दो माह कोलसार चलाते थे। जिससे गुड़ तैयार होने तक की सोंधी महक चार-पांच किलोमीटर दूर तक जाती थी। 1984 में चीनी मिल कारखाना बंद होने के बाद ईख की खेती भी प्रभावित हो गई। कुछ बुजुर्ग जानकारों की मानें तो ईख चीनी मिल द्वारा खरीद लिया जाता था। जिससे किसानों को तीन सौ प्रतिशत तक लाभ होता था। लेकिन मिल बंद हो जाने के बाद किसानों को मेहनत का लाभ भी नहीं निकल पाता था।
प्रखंड क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर ईख का उत्पादन शाहपुर, बलियारी, बलतुआ, बिशुनपुर, बौलिया, बेलौंजा, दारानगर, भदारा, कमाल खैरवा, खैरवा खुर्द बान्दू, काजीपुर, आनंदीचक, बलभद्रपुर, टीपा, बनाही, निमहत, देवदंड, तिउरा, तिलोखर, बभनी, पड़रिया, परछा, पंडुका, तिअरा आदि गांवों में होता था। गांवों से बैलगाड़ी से रेलवे स्टेशन तक ईख आता था। रेलवे स्टेशन पर ही ईख का वजन हो जाता था। डालमिया उद्योग के बंद होने से ईख के व्यापक उत्पादन के साथ ही कोलसार में गुड़ तैयार होने तक निकलने वाली सोंधी महक भी प्रखंड क्षेत्र से गायब हो गई। प्रखंड क्षेत्र के कुछ किसान पूजा-पाठ के लिए ईख का उत्पादन करते हैं लेकिन फसल को पशुओं द्वारा चरा दिये जाने व ईख की चोरी से परेशान रहते हैं। अक्सर ईख को लेकर झगड़ा होते रहता है। मामला थाना तक भी पहुंचता है। पहले हर घर में ईख था तो चोरी नहीं होती थी। गुरूसोत के आशुतोष त्रिवेदी, दारानगर के गजेन्द्र सिंह, भदारा के मुक्तेश्वर सिंह, खैरवा के विजय सिंह बताते हैं कि रोहतास उद्योग समूह के बंद होने से क्षेत्र में काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। उद्योग जब चालू था तब लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी थी और लोग खुशहाल रहते थे लेकिन उद्योग के बंद होने से क्षेत्र में काफी गरीबी बढ़ गई है। प्रखंड विकास पदाधिकारी अनुराग आदित्य बताते हैं कि उद्योग समूह को जीवित करने के लिए सरकार योजना तैयार करती रहती है। इसके लिए प्रखंड क्षेत्र के लोगों को सामूहिक रुप से सरकार से मांग करते रहना चाहिए।
सत्यानन्द पाठक