IAS Officer Success Story: आज हम आपको ऐसे परिवार के बारे में बताने वाले है, जिन्होंने ईंट भट्ठे पर दिन रात मजदूरी कर अपने बच्चों को पढ़ाया। उसकी ये तपस्या रंग और बेटा आईएएस के लिए सेलेक्ट हो गया। हम बात कर करे हैं बिजनौर के सैदपुर माफी गांव के रहने वाले वाल्मीकि समाज के सतीश वाल्मीकि की जो ईंट भट्टे में मजदूरी करते हैं। सतीश के बेटे मुक्तेंदर वाल्मीकि ने हाल ही में यूपीएससी 2022 की परीक्षा में 819वीं रैंक हासिल की है।
इस जिले में एक मजदूर के बेटे ने गरीबी और मुफलिसी में रहते हुए यूपीएससी एग्जाम क्रैक किया। मुक्तेंद्र बताते हैं कि पिता रोज सुबह ईंट भट्ठे पर मजदूरी के लिए जाते थे और उसी से घर का खर्च चलता था। पढ़ाई के लिए नोट्स और किताबें खरीदने के लिए भी मुश्किल से पैसे हो पाते थे। कोचिंग के लिए भी पैसे नहीं रहते थे। हालांकि फिर भी पढ़ाई के लिए उनके पिता कैसे भी करके पैसे लाकर देते थे। गूगल और यूट्यूब देखकर ही पढ़ाई करता था।
हालांकि, मुक्तेंद्र बताते हैं कि पिता को मजदूरी करने जाते देखकर अच्छा नहीं लगता था। ऐसे में उन्होंने कुछ बड़ा करने की ठान ली थी और यूपीएससी की तैयारी में लग गया। मुक्तेंद्र कहते हैं कि मेरी सक्सेज के पीछे पापा की कड़ी मेहनत छिपी है। मुक्तेंदर ने शुरुआती पढ़ाई गांव के निजी स्कूल से की है। उन्होंने स्योहारा कॉलेज से बीएससी किया है।