सासाराम : गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए राज्य सरकार अब सरकारी अस्पतालों में ही बेहतर सुविधा मुहैया उपलब्ध करा रही है। ताकि कुपोषित बच्चों को बेहतर इलाज मिल सके। इसी के तहत रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम सदर अस्पताल स्थित 20 बेड वाला पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) कुपोषित बच्चों को नई जिंदगी देने में अहम भूमिका निभा रहा है। विदित हो कि कुपोषित बच्चों की पहचान करके उसे पोषित करने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाता है। जहां बच्चों को इलाज के साथ-साथ बेहतर पौष्टिक आहार के माध्यम से सुपोषित किया जाता है। कुपोषित बच्चों को एनआरसी में रखकर इलाज व स्पेशल डाइट तैयार की जाती है। जिसमें सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज तत्व युक्त भोजन, आहार दिए जाते हैं। बच्चे मुख्यतः शिशु रोग विशेषज्ञ की देखरेख में रहते हैं।
पिछले 8 महीनों में 63 कुपोषित बच्चे हुए भर्ती
जिला स्वास्थ्य समिति से मिली जानकारी के अनुसार सासाराम सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में पिछले 8 महीनों में कुल 63 कुपोषित बच्चों को भर्ती कराया गया है। जिसमे जनवरी में 6, फरवरी में 6, मार्च में 8, अप्रैल में 6, मई में 7, जून में 9, जुलाई में 12 अगस्त में 9 बच्चे शामिल हैं है। वहीं इन आठ महीनों में पूर्व से इलाजरत 61 बच्चों को पोषित कर के उनको घर भेजा जा चुका है।
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बच्चों के साथ साथ मां को भी दी जाती है सुविधा
पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को भर्ती कराने पर बच्चों के साथ-साथ मां को भी कई सुविधाएं दी जाती हैं । जिसमें चिकित्सकों की सलाह के अनुसार बच्चों के लिए नि:शुल्क खाने की व्यवस्था, नि:शुल्क दवाएं, भर्ती के दौरान बच्चे की मां को 100 रुपये प्रतिदिन दैनिक भत्ता के अलावा मां को नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था, बच्चे की मां को प्रत्येक फॉलोअप पर एनआरसी आने के लिए क्षतिपूर्ति राशि सहित अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं ।
कुपोषित शिशु हो रहे हैं स्वस्थ्य
शिवसागर प्रखंड निवासी अनिता देवी ने अपनी 1 वर्षीय पुत्री रागिनी कुमारी को अति कुपोषित होने के बाद सासाराम सदर अस्पताल स्थित एनआरसी में भर्ती कराया। एनआरसी इंचार्ज रिया कुमारी ने बताया कि 2 सितंबर को रागिनी को एनआरसी में भर्ती कराया गया था। उस दौरान उसका वजन 4 किलो 300 ग्राम था जो कुपोषण का सबसे निचला स्तर माना जाता है। उन्होंने बताया कि बेहतर इलाज और पौष्टिक आहार के माध्यम से 10 दिनों में रागिनी के वजन में 200 ग्राम की वृद्धि हुई है जो काफी बेहतर है।
कुपोषण को दूर करने का प्रयास: सीएस
रोहतास के सिविल सर्जन डॉ के एन तिवारी ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान मां को उचित आहार न मिलने की वजह से अक्सर बच्चे कुपोषित हो जाते या फिर जन्म के बाद उचित आहार ना मिलने पर बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। वैसे बच्चों का पता लगाकर पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाता है, जहां उचित देखभाल और पौष्टिक आहार के माध्यम से कुपोषण को दूर करने का प्रयास किया जाता है।