सासाराम| रोहतास जिला मुख्यालय, सासाराम में विभिन्न जगहों पर पूर्व नगर परिषद एवं वर्तमान नगर निगम प्रशासन द्वारा कई सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है। इसके निर्माण पर जनता की गाढ़ी कमाई के लाखों रुपए खर्च हुए हैं। लेकिन शौचालय के रखरखाव और इसकी सफाई पर प्रशासन का ध्यान नहीं है। हालत यह है कि साफ-सफाई के अभाव में बदबू के चलते यहां का माहौल दमघोंटू हो गया है।
निगम ने कुछ चलीत शौचालय भी खरीदे थे, जो शहर के विभिन्न जगहों पर खड़े तो किए गए हैं। लेकिन साफ-सफाई के अभाव और पानी का प्रबंध नहीं होने की वजह से ये उपयोग के लायक नहीं है। ऐसा लग रहा है, जैसे नगर निगम सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को ठेंगा दिखाने पर आमादा है। इस संबंध में की गई तमाम शिकायतें भी धूल चाट रही हैं। सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि निगम की इस लापरवाही से सासाराम स्वच्छता रैंकिंग में आखिरकार कितना पायदान ऊपर चढ़ पाएगा।
शौचालयों की बदहाल स्थिति के चलते स्थानीय दुकानदारों एवं ग्राहकों को या तो शौच के लिए दूर जाना पड़ता है या वे खुले में ही शौच करने को मजबूर हैं। विडंबना है कि सरकार एक ओर जहां महिलाओं के सम्मान की बात करती है तो वहीं दूसरी ओर चिकित्सा या किसी अन्य मकसद से घर से बाहर निकली महिलाओं को शौचालय के अभाव में शर्मसार होना पड़ता है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों से शहर आने वाली महिलाओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जब उन्हें घर से घंटों सफर करने के बाद जिला मुख्यालय में शौचालय की तलाश में भटकना पड़ता है। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया कि इस समस्या को लेकर वह कई बार नगर निगम के अधिकारियों से मिला, वही ढाक के तीन पात। उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। वर्तमान रोहतास जिला अधिकारी एवं नगर निगम का प्रशासक धर्मेंद्र कुमार की पदस्थापना के बाद आशा की एक किरण जगी थी कि शायद अब शौचालयों का निर्माण होगा और इन शौचालयों की देखरेख भी ठीक से होगी। लेकिन अब तक सकारात्मक परिणाम नहीं दिखा है। हालांकि अब भी लोगों को भरोसा है कि जिलाधिकारी महोदय अपने वर्तमान कार्यकाल में जनता की इस समस्या का निराकरण जरूर कराएंगे।