दाउदनगर: दाउदनगर शहर के पुराना शहर में दाउद खां का एक ऐतिहासिक किला स्थित है।इस किले को पर्यटन स्थल दर्जा मिलने की उम्मीद लोग संजोय बैठे हैं।यह किला स्थापत्य कला का एक बेहतरीन उदाहरण है। किले की कलाकृति के अवशेष इसकी विशेषता को दर्शाते हैं।इसके अंदर दक्षिण 20, पश्चिम से 10 व उत्तर में 7 अस्तबल नुमा ध्वस्त अवशेष और मस्जिद की आकृति के अवशेष आज भी विराजमान है।
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, 17 वीं शताब्दी में दाउद खां के किला का निर्माण हुआ था दाउद खां औरंगजेब के सिपहसालार थे।1659 से 1664 तक वे बिहार के सूबेदार थे।पलामू फतह के बाद बादशाह औरंगजेब ने दाउद खां को अंछा,मनोरा परगना भेंट किया था ,जिसके बाद दाउद खां ने किला का निर्माण कराया था।किला का सौन्दर्यीकरण तो हुआ है पर यह अधूरा है क्योंकि अतिक्रमण नही हटाए जाने से चारदीवारी पुरी तरह नहीं बन सकी है।(दाउदनगर की ऐतिहासिक किले )
12715.40 वर्ग मीटर में फैला है यह किला
दाउदनगर का ऐतिहासिक किला सतरहवीं सदी में औरंगजेब के शासन काल मे उनके सिपहसालार दाउद खां ने बनवाया था।इसे बनाने में दस वर्ष लग गए थे।इसका क्षेत्रफल 12715.40 वर्ग मीटर है। कोई सुधि नही लिए जाने के कारण खण्डर होने लगा।अतिक्रमण का भी शिकार हुआ। किला अपने दुर्दशा पर आंसू बहाता रहा। इसका जीर्णोद्वार करने के लिए टेंडर हुआ , पर अतिक्रमण के कारण ठेकेदार निर्माण का काम छोड़ दिया। फिर इसकी कवायद पुरातत्व विभाग ने सुध ली।एक बार फिर टेंडर हुआ बिहार राज्य भवन निर्माण निगम के तहत शारदा सिक्युरिटी द्वारा निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। चारदीवारी के साथ शोचालय कमरा ,चारो कोना पर शेड बनाया गया। दोनो मुख्यद्वार पर दरवाजा भी लगा दिया गया। सौंदर्यीकरण के लिए करीब साढ़े चार करोड़ का डीपीआर बनाया गया ।
पुरातत्व विभाग की पहल के बाद इसकी कुछ स्थिति बदल गई है सौंदर्यीकरण के पहले जहां लोग खुलेआम स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ाते हुए खुले में शौच कर परिसर गन्दा करते थे मल मूत्र त्याग करते थे गंदगी व्याप्त रहती थी वहीं अब सुबह में सैर सपाटे का जरिया बन गया है,पर फिर से कहीं पुराने दौर में लौट जाए।
अभी काम है बन्द:
पुरातत्व विभाग द्वारा करीब 4 वर्ष पहले परिसर के सौंदर्यीकरण में काम काम लगाया गया था। लेकिन कभी धीमी तो कभी तेज गति से काम चलता रहा।इधर तीन साल से काम पूरी तरह बंद दिख रहा है हालांकि दोनों तरफ गेट लगा दिया गया है। दक्षिण -पश्चिम की तरफ की चहारदीवारी करा दी गई है। उत्तर की ओर चारदीवारी नहीं कराई गई है । अतिक्रमण की समस्या होने के कारण उधर की चहारदीवारी अभी तक नहीं कराई गई है। परिसर में चारों तरफ पैदल पथ का निर्माण कराया गया है।पांच पीसीसी पथ बनाया गया है ।कई जगहों पर लोगों को बैठने या आराम करने के लिए चबूतरा बनाया गया है ।पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पौधा और फूल लगाने के लिए दर्जनों गेवियन बनाए गए हैं। देखरेख के अभाव में कुछ गेवियन ध्वस्त हो गए हैं और जो बचे हुए हैं,उसमें अभी तक पौधे लगाए ही नहीं गए हैं।नौ लाइट का व्यवस्था कर दिया गया है।पोल का खंभा लगाकर नौ लाइट लगाए गए हैं पर अभी तक चालू नही हुआ है। पीने के लिए पानी टंकी लगाया गया है,शौचालय का निर्माण भी कराया गया है जो चालू अवस्था में नहीं है।