गलत तरीके से इंजेक्शन देने से एक मवेशी का पैर का नस हुआ डैमेज
भभुआ| सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कृषि, मत्स्य, पशुपालन को लेकर सभी सुविधाओं और हाईटेक व्यवस्था के खूब दावे कर लें लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है, पशुपालन विभाग में करोड़ो रूपये खर्च करने के बाद भी पहले से और भी स्थिति दयनीय हो गई है| यह हाल पशुपालन विभाग कैमूर का है जहाँ जिले में पशुपालन विभाग की स्थिति सरकार के सभी दावों की पोल खोलकर रख दिया है| जिले में कुल 22 पशुपालन विभाग का अस्पताल है लेकिन इन अस्पतालों में न डॉक्टर हैं और ना ही दवाएँ|(कैमूर: कैमूर के 22)
जिले में कुल 5 डॉक्टर हैं जिनमें अनुमंडलीय पशु अस्पताल भभुआ, दुर्गावती प्रखंड में 1 और चाँद प्रखंड में 1 डॉक्टर तैनात हैं, बाकी प्रखंडों में डॉक्टर नही हैं किसी तरह सहायक के द्वारा अस्पताल को खोला और बंद किया ज रहा है, इसके साथ ही जहाँ डॉक्टर हैं वहाँ दवा भी नही है अब ऐसी स्थिति में पशुपालक किसके शरण में जाए, पशुओं को किसी तरह की समस्या होने पर उनका समुचित ईलाज नही हो पाता और अंत मे मवेशी की मृत्यु हो जाती है।
एक मवेशी का ईलाज के बाद बिगड़ी स्थिति
पशुपालन विभाग में एक तो डॉक्टर की कमी जो हैं भी उनके द्वारा भी कार्य में अनियमितता बरती जा रही है| जिला मुख्यालय का अस्पताल में सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है| कोई पशुपालक अगर अपना मवेशी को लेकर जाते हैं तो उन्हें न कोई विधिवत पुर्जा बनाया जाता है और न ही कोई रोग का विवरण दिया जाता है| भभुआ नगर वार्ड नं 9 के ही एक पशुपालक अपनी बकरी की भूख बढ़ाने की दवा लेने के लिए अस्पताल गए लेकिन अस्पताल के कर्मी नंद किशोर के द्वारा बाजार से इंजेक्शन मंगाकर पैर में दिया गया| जिसके बाद मवेशी का पैर काम करना बंद कर दिया|(कैमूर: कैमूर के 22)
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जब दोबारा दिखाया गया तो पशुपालन पदाधिकारी डॉक्टर शशिभूषण कुमार के द्वारा पहले से दिए गए दवा के बारे में बताया कि ये दवा सर्रा रोग के लिए दिया जाता है| जबकि बकरी को इस तरह के लक्षण ही नही थे, पशुपालक के द्वारा 19 जुलाई को ईलाज के लिए ले जाया गया था लेकिन जब रजिस्टर में जाँच की गई तो बकरी के ईलाज की कोई इंट्री नही किया गया था। दोबारा दिखाने पर पशु पालन पदाधिकारी पशु शल्य चिकित्सक शशिभूषण कुमार ने बताया कि बकरी के पैर का नर्व डैमेज हो गया है जिसका ईलाज किया जा रहा है| अब कैसे हुआ कौन ईलाज किया इसकी जानकारी नही। वहीँ लोगों के द्वारा बताया जाता है कि जो डॉक्टर हैं वे भी खानापूर्ति कर गायब रहते हैं।
डॉक्टरों के ट्रांसफर के बाद हुई डॉक्टरों की कमी/ पशुपालकों से होती है नोकझोंक
पशुपालन पदाधिकारी शशिभूषण कुमार ने बताया कैमूर जिले में कुल 22 अस्पताल हैं, जिसमे केवल 5 डॉक्टर ही तैनात हैं जिसमें एक चाँद, एक दुर्गावती, एक डीएचएस एक अन्य और एक मैं| जिले में डॉक्टरों की काफी कमी है| वहीँ अस्पताल में कोई दवा नही है, जिससे कई बार पशुपालकों से नोकझोंक भी हो जाती है| उन्होंने बताया कि पहले जिले में 9 डॉक्टर थे लेकिन सभी का स्थानांतरण कर दिया गया और अब जिले में केवल 5 डॉक्टर ही बचें हैं।(कैमूर: कैमूर के 22)
पशुओं का टीकाकरण कार्यक्रम किसी तरह हुआ
पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि विभाग में डॉक्टरों और कर्मियों की काफी कमी है इसकी सूचना वरीय अधिकारियों को भी दी गई है| पिछले टीकाकरण अभियान को किसी तरह कराया गया था क्योंकि डॉक्टर और स्टाफ की कमी है।
एक साल से दवा खत्म
पशुपालन पदाधिकारी भभुआ शशिभूषण कुमार ने बताया कि अस्पताल में एक साल से दवा नही है, दवा सेंट्रलाइज सिस्टम से आता है विभाग द्वारा टेंडर किया गया है दवा आने पर उपलब्ध कराया जाएगा जिससे लोगों को कुछ राहत मिलेगी। पशुपालकों के द्वारा दवा नही मिलने पर वाद विवाद किया जाता है जिससे अस्पताल परिसर में दवा नही होने का नोटिस चस्पा कर दिया गया है।