मुश्किलों में नीतीश सरकार: बिहार में आनंद मोहन की रिहाई पिछले दिनों हो गई है। जिसके बाद अब सत्तारूढ़ महागठबंधन में घमासान बढ़ता जा रहा है। भाकपा माले आनंद मोहन के रिहाई के बाद अब टाडा कानून लगाकर जिन दलित गरीबों को जेल में बंद कर दिया गया है, उन्हें रिहा करने की मांग कर रही है।
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एक रिपोर्ट के अनुसार भाकपा माले ने पिछले प्रदर्शन किया था। इसके अलावा उनकी मांग की थी कि टाडा कानून लगाकर जेल में बंद कैदियों और शराबबंदी कानून के तहत कैद दलित गरीबों की तुरंत रिहाई होनी चाहिए। इसके अलावा उन्हें जमीन और मकान देने का भी कानून बनाना चाहिए।
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वहीं माले का कहना है कि बिहार की महागठबंधन सरकार दलित-गरीबों के सवालों पर उदासीन है। बिहार में सबसे कम मनरेगा मजदूरी है, और वृद्धों-विकलांगों-महिलाओं का पेंशन भी सबसे कम है। भूख, गरीबी और कर्ज के दुष्चक्र में फंसकर आत्महत्याओं का दौर शुरू हो गया है, लेकिन ये सवाल सरकार की चिंता में शामिल नही है।
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इसी के साथ आनंद मोहन की रिहाई का भी माले मुद्दा उठा रही है। माले ने कहा कि वह कैदियों की रिहाई में बिहार सरकार द्वारा की गई और पारदर्शी नीतियों और चुनिंदा लोगों की रिहाई का विरोध करती है। अगर आनंद मोहन की रिहाई हुई है तो 22 साल से सजा काट रहे टाडा बंदियों की भी तुरंत रिहाई होनी चाहिए। इसके अलावा शराब बंदी कानून के तहत जेलों में बंद गरीबों को भी रिहा करना चाहिए।।