सासाराम। प्रत्येक वर्ष 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। जिसका मुख्य मकसद कामकाजी महिलाओं को उनके स्तनपान संबंधी अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करना है। स्तनपान शिशु के जन्म के पश्चात एक स्वाभाविक क्रिया है। हालांकि स्तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव में बच्चों में कुपोषण का रोग एवं संक्रमण से दस्त होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में स्तनपान संरक्षण और संवर्धन का काम करता है। साथ ही साथ स्तनपान नवजात शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। मां के दूध में रोगाणु नाशक तत्व होते हैं जो नवजात शिशु के अंदर पनप रहे रोगाणु को खत्म करने में अहम भूमिका निभाता है।
स्तनपान सप्ताह पर महिलाओं को किया जाता है जागरूक
बदलते परिवेश में अधिकांश महिलाएं अपने नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने में थोड़ा परहेज करती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि स्तनपान से शारीरिक कमजोरी होती और शारीरिक संरचना पर भी असर पड़ता है। इसलिए अधिकांश महिलाएं शिशुओं को बाहरी दूध देना शुरू कर देती हैं। परंतु विश्व स्तनपान सप्ताह पर कामकाजी महिलाओं को उनके स्तनपान संबंधी अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करने के साथ-साथ कार्यालयों में भी इस प्रकार का माहौल बनाना है ताकि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को किसी प्रकार की असुविधा ना हो। वहीं स्तनपान कराने से माताओं को भी कई फायदे होते हैं। स्तनपान महिलाओं के स्तन व ओवरी के कैंसर की संभावना को कम करता है। साथ ही साथ मां को अपनी पुरानी शारीरिक संरचना वापस प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्तनपान को लेकर दी जाती है जानकारी
सासाराम प्रखंड के दलेलगंज मोहल्ला स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 117 की सेविका ऋषियंका देवी ने बताया कि महीने के प्रत्येक 19 तारीख को आंगनबाड़ी केंद्र पर अन्नप्राशन दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर धात्री महिलाओं को बताया जाता है कि मां का दूध नवजात बच्चों के लिए अति आवश्यक है। साथ ही साथ उन्हें यह भी बताया जाता है कि बच्चों को लगातार छह महीने तक मां का दूध ही पिलाना चाहिए। इसके अलावा मां को भी अधिक से अधिक पौष्टिक खाद्य पदार्थ जिसमें हरी साग- सब्जियां मूंग दाल, बदाम, चना जैसे अन्य खाद्य पदार्थों को लेने की सलाह दी जाती है ,ताकि उनका भी स्वास्थ्य बना रहे।
मां का दूध बच्चों के लिए मुख्य पोषक तत्व
आईसीडीएस डीपीओ रश्मि रंजन ने बताया कि बच्चे के जन्म से 1 घंटे के अंदर ही मां का दूध शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि मां का दूध ही बच्चों के लिए मुख्य पोषक तत्व होता है। उन्होंने कहा कि नवजात शिशु को लगातार 6 महीने तक मां का दूध पिलाना चाहिए। कोई भी बाहरी दूध या अन्य पदार्थ बच्चों को नहीं देना चाहिए क्योंकि जैसे ही बाहरी चीज बच्चों के शरीर में जाना शुरू होता है तो दस्त की संभावना काफी बढ़ जाती है।
मां का दूध क्यों जरूरी
सासाराम सदर अस्पताल में कार्यरत महिला चिकित्सक डॉ निधि माधवी ने बताया कि मां का पहला गाढ़ा पीला दूध बच्चों के लिए अति आवश्यक होता है। , क्योंकि मां का दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता है। उन्होंने बताया कि मां का दूध बच्चों को डायरिया रोग होने से बचाता है। साथ ही साथ मां के दूध में मौजूद तत्व बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। मां का दूध पीने वाले बच्चे का तेजी से विकास होता है।