सासाराम। टीबी एक खतरनाक बीमारी है, यदि असावधानी बरती गई तो इससे जान भी जा सकती है। टीबी से बचाव को लेकर लगातार जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसका मुख्य मकसद 2025 तक देश से टीबी बीमारी को समाप्त करना है। टीबी हारेगा देश जीतेगा की तर्ज पर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत लोगों को टीबी बीमारी का लक्षण और इससे बचाव की जानकारी दी जा रही है। रोहतास जिले में भी टीबी बीमारी को हराने के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र लगातार प्रयासरत है। जिले को भी टीबी मुक्त जिला बनाने को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाई जा रही है। जिला यक्ष्मा केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार रोहतास जिले में 950 के आसपास टीबी बीमारी से लोग संक्रमित हैं जिनका इलाज जारी है।(रोहतास: टीबी की दवा)
एक टीबी संक्रमित मरीज 15 को कर सकते हैं संक्रमित
जिला यक्ष्मा केंद्र के सीडीओ डॉ राकेश कुमार ने बताया कि टीबी एक संचारी रोग है, जो एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। उन्होंने बताया कि एक टीबी संक्रमित मरीज साल भर में औसतन 15 लोगों को संक्रमित कर सकते हैं और वह 15 संक्रमित लोग अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं। ऐसे में टीबी से संक्रमित लोगों को सावधानी बरतना अति आवश्यक है, ताकि दूसरे लोगों में भी यह बीमारी न फैले। सीडीओ ने बताया कि टीबी बीमारी खांसने और थूकने से फैलती है। , इसलिए जब भी खाँसें तो मुंह पर रुमाल या कोई कपड़ा जरूर रख लें । साथ ही साथ जहां-तहां ना थूकें। खासकर टीबी संक्रमित मरीज अपने घर के लोगों खासकर बच्चों से भी कुछ दूरी बना कर रहें ताकि घर के लोग संक्रमित ना हों।(रोहतास: टीबी की दवा)
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बीच मे दवा छोड़ना हो सकता है घातक
डॉ राकेश कुमार ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति टीबी की बीमारी से संक्रमित है तो उसे लगातार 6 से 8 महीने तक दवा खाना आवश्यक है, क्योंकि शुरुआती टीबी मरीज के लिए 6 से 8 महीना की दवा का खुराक होती है। यदि इस बीच 1 से 2 महीना ही दवा खाने के बाद वो व्यक्ति दवा खाना छोड़ देता है तो बीमारी और घातक हो सकती है। क्योंकि दवा छोड़ने के बाद टीबी के कीड़े फिर से एक्टिव हो जाते और वह आगे और खतरनाक हो जाते हैं। इसलिए टीबी के शुरुआती लक्षणों के दौरान ही दवा खाना शुरू कर दें, क्योंकि 6 से 8 महीने तक की जो टीबी बीमारी की खुराक होती है उसे लेने पर टीबी बीमारी ठीक हो सकती है।
सदर अस्पताल में है जांच की सुविधा
डॉ राकेश कुमार ने बताया कि सासाराम सदर अस्पताल में ट्रूनेट, सीबी नेट के माध्यम से बलगम की जांच की जाती है। उसके बाद आगे की जांच के लिए उसे पटना भेज दिया जाता है। सीडीओ ने बताया कि टीबी बीमारी की सभी जांच पूरी तरह से निःशुल्क होती है,। इसलिए यदि टीबी के लक्षण जैसे में दो हफ्तों तक खांसी का बना रहना, भूख ना लगना, लगातार वजन गिरना, रात में सोते वक्त पसीना आना जैसे दिखाई दें तो तुरंत टीबी की जांच कराएं ताकि शुरुआती दौर में ही इसे पहचान कर के इस बीमारी को खत्म किया जा सके।(रोहतास: टीबी की दवा)