पटना डेस्क: विपक्षी एकजुटता की महाबैठक के बाद आहत हो चुके विपक्ष को पटना की तपिश में अपने को निखारने की तकनीक मिल गयी। एकजुटता की ट्रेन इस ट्रैक पर दौड़ी कि 2024 में भाजपा मुक्त भारत के लिए कलेक्टिव एफर्ट (सामूहिक प्रयास) पर काम होगा। हालांकि, महाबैठक में इतना तो साफ दिखा कि देश में विपक्ष की राजनीति में नीतीश कुमार का कद काफी बड़ा हो गया।
बिहार में लड़की ने इग्नोर किया तो कातिल बना सरफिरा आशिक, साइकिल से खींचा फिर…..
पटना की विपक्ष की महाबैठक के बारे भाजपा नेताओंं का यह वक्तव्य आ रहा था कि यह काम मेढकों को तौलने जैसा है। खुद विपक्ष के नेताओं को भी संशय था। उमर अब्दुल्ला ने भी यह कहा कि इतने लोगों को एक साथ इकट्ठा करना मामूली बात नहीं।
हालांकि, नीतीश कुमार ने यह मुमकिन कर दिखाया। पटना में 15 राजनीतिक पार्टियों के शीर्ष नेता एक साथ एक मंच पर दिखे, तो बिहार से दिल्ली तक भाजपा में खलबली मच गई। हालांकि, महाबैठक के बाद विपक्ष की तरफ से जिस प्रधानमंत्री चेहरे के नाम के खुलासे का सबको इंतजार था, वो अब भी अधूरा है।
बिहार में दो पत्नियों के बीच बटा पति, महीने के 10-10 दिन पहली व दूसरी पत्नी के साथ रहेगा!
वहीं, अगर 2024 के चुनाव में सभी विपक्षी पार्टियों के बीच एकसाथ चुनाव लड़ने पर सहमति बन जाती है, तो नीतीश कुमार को संयोजक बनाया जा सकता है। क्योंकि नीतीश कुमार ही वो नेता है, जिन्होंने सभी नेताओं को एक मंच पर लाने की मुहिम को सफल बनाया। संभावना है कि शिमला में विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री चेहरे का एलान भी हो जाएगा। इस रेस में भी नीतीश कुमार सबसे प्रबल दावेदार नजर आते हैं।