रोहतास के गौरव को पुनर्जीवित करने का कार्य करेगा यह कार्यक्रम -डीएफओ
ऐतिहासिक रोहतासगढ़ किला परिसर में संपन्न हुआ वनवासी कल्याण महोत्सव
सासाराम। ऐतिहासिक रोहतासगढ़ किला परिसर में शनिवार 5 मार्च को वनवासी कल्याण महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। महोत्सव का उदघाटन मुख्यातिथि डीएम धर्मेन्द्र कुमार, डीएफओ प्रदुम्न गौरव, वनवासी कल्याण आश्रम के जिलाध्यक्ष गोविन्द नारायण सिंह,डेहरी एसडीएम समीर सौरभ,श्रद्धा जागरण के अखिल भारतीय सह प्रमुख ,वरीय उप समाहर्ता अनु कुमारी,प्रवीण चंदन ,रेशमी कुमारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया । समारोह को सम्बोधित करते हुए डीएम धर्मेन्द्र कुमार ने कहा कि रोहतास गढ़ किला जनजातियों का उद्भव स्थल है। कैमुर पहाड़ी के गांवों में बसे आदिवासी परिवार अपनी प्राचीन परंपरा को जीवंत रखे हुए है। डीएम ने कहा कि यह कार्यक्रम माघ पूर्णिमा को विगत 16 वर्षो से होता आया है। डीएम ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कैमुर पहाड़ी क्षेत्र को विकसित करने के लिए कई कार्य किए जा रहे है।अगले माह से रोपवे निर्माण शुरू होगा। यहां के प्रति नकारात्म माहौल पहले जो था अब समाप्त हो गया है।अब टूरिस्ट का आना जाना प्रारभ होगा और रोजगार का सृजन होगा। अपने मूल संस्कृति के साथ जीवन जीना ही सुखी जीवन है। इसलिए संस्कृति की रक्षा करते हुए जीवन यापन करना हर व्यक्ति का धर्म है। उन्होंने कहा कि यह कर्यक्रम आगे भी माघ पूर्णिमा को ही होगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण माघ पूर्णिमा के दिन यह कार्यक्रम नही हो सका चुकी समय काफी कम था ।
रोहतास के गौरव को पुनर्जीवित करने का कार्य करेगा यह कार्यक्रम
मौके पर डीएफओ प्रदुम्न गौरव ने कहा कि यह कार्यक्रम किला के गौरव को पुनर्जीवित करने का कार्य करेगा।पर्यटन को विकसित करने में सभी विभाग लगे है। वहीं गोविंद नारायण सिंह ने कहा कि स्थानीय सहयोग से अब इस क्षेत्र का विकास निश्चित होगा। अपनी परंपरा को संजोए रखे। कार्यक्रम में शामिल पदाधिकारियों व अन्य लोगो ने करम वृक्ष के पारंपरिक पूजा स्थल पर पहुंच कर नमन किया। आयोजन समिति द्वारा लगाए गए स्टॉल कुडुख भाषा पुस्तक,चित्र प्रदर्शनी,कैमूर पहाड़ी पर होने वाले औषधीय फल (आंवला हरे बहेरा चिरौंजी)को भी देखा। इसके बाद किला परिसर में अवस्थित रंग महल,कचहरी,हवा महल समेत कई स्थलों का अवलोकन किया।
कलाकरों ने आदिवासी मनोहारी नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया :
वनवासी कल्याण महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम यथा आदिवासी नृत्य इत्यादि के आयोजन में स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता दी गई तथा उन कलाकारों द्वारा मनोहारी नृत्य प्रस्तुत कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
झारखण्ड छतीसगढ़ से आयी आदिवासी महिलाओं ने सरहुल डांस कर रोहतासगढ़ किला परिसर में वनवासी कल्याण महोत्सव में चार चांद लगाया।
आगत अतिथियों का हुआ भव्य स्वागत
आयोजनकर्ताओं ने समारोह में पहुंचे अतिथियों का भव्य स्वागत किया। मौके पर आगत अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र मोमेंटो और पुष्प गुच्छ देकर किया गया। अतिथियों का स्वागत करने वालों में संजीव गुप्ता,महेंद्र कुमार,डोमा सिंह खरवार ,सुदामा उराँव जिप सदस्य कंचन देवी,महेंद्र प्रताप सिंह,मुखिया अनीता टोप्पो,नागेंद्र यादव योगेंद्र उरांव कृष्णा सिंह यादव ,दिलीप गुप्ता ,राजेश उरांव रवि उरांव आदि शामिल है।
आयोजित हुआ संस्कृति रक्षा दौड़
समारोह के तहत संस्कृति रक्षा दौड़ का आयोजन हुआ। पुरस्कृत हुए प्रतिभागी में प्रथम पुरस्कार 5000 रुपये ,द्वितीय 2000 रुपये और तृतीय स्थान पाने वाले युवक को 1000 रुपए का पुरस्कार डीएम ने प्रदान किया। साथ ही कैमूर पहाड़ी पर बसे गांवों के मैट्रिक और इंटरमीडिएट में अधिक अंक प्राप्त करने वाले संजीत कुमार,नीलम बखला,अशोक सिंह,संगीता,राधा,चांदनी,सुमन को भी पुरस्कृत किया गया। और सभी दौड़ में दस दस लोगो को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। साथ ही सभी बैगा ,पाहन को अंग वस्त्र से सम्मानित किया गया।
प्रमुख त्योहार जन्नी शिकार की शुरुआत रोहतासगढ़ से ही हुआ
देश के विभिन्न प्रदेश में बसे उराँव जाति के श्रद्धा और आस्था का केंद्र है रोहतासगढ़ किला । उक्त बातें रोहतासगढ़ किला परिसर में वनवासी कल्याण महोत्सव का के अवसर पर महरंग उरांव ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा।उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय का प्रमुख त्योहार जन्नी शिकार की शुरुआत रोहतासगढ़ से ही हुआ है । जिसे आज झारखण्ड छतीसगढ़ एवम देश के अन्य आदिवासी खासकर उराँव जाती बहुल क्षेत्र में मनाया जाता है । उन्होंने कहा कि आज देश भर के आदिवासी उरांव समुदाय की आस्था का केंद्र बन गया है । ऐतिहासिक रोहतासगढ़ किला आदिवासी समुदाय का हर व्यक्ति अपने पूर्वज की जन्म भूमि पर आकर माथा टेकना चाहता है ।