IAS Success Story: किसी भी जगह पर जाने के लिए काफी परिश्रम करना पड़ता है, तब जाकर इंसान सफलता हासिल कर पाता है। दो बच्चों की मां सविता प्रधान के लिए आईएएस अफसर बनना आसान नहीं था। उनकी जिंदगी में कई तरह के उतार-चढ़ाव आएं। पढ़ाई-लिखाई से लेकर अपनी शादीशुदा जिंदगी तक में, उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।
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वहीं, सविता प्रधान ने एक वीडियो इंटरव्यू में अपनी जिंदगी के कई अहम पहलुओं पर बात की है। उनकी गिनती मध्य प्रदेश की तेज-तर्रार अधिकारियों में की जाती है। फिलहाल वह ग्वालियर संभाग में ज्वाइंट डायरेक्टर हैं। 2021 में वह खंडवा नगर निगम की पहली महिला कमिश्नर बनी थीं। मंदसौर सीएमओ रहते हुए उन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। वहां उन्होंने माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाकर अफीम तस्करों पर एक्शन लिया था।
IAS Success Story: जानिए फिर क्या हुआ
इस दौरान अवैध तरीके से करोड़ों के बंगलों को मिट्टी में भी मिलवा दिया था। सविता प्रधान का जन्म एमपी के मंडी नाम के गांव में एक आदिवासी परिवार में हुआ था। वह बहुत गरीबी में पली-बढ़ी हैं। वह अपने माता-पिता की तीसरी संतान हैं। उनके गांव में तब 10वीं तक का स्कूल था और ज्यादातर लड़कियों को पढ़ाई के लिए भेजा ही नहीं जाता था। वह अपने गांव से 10वीं बोर्ड परीक्षा पास करने वाली पहली लड़की थीं। उनके स्कूल जाने से माता-पिता को स्कॉलरशिप के 150-200 रुपये मिल जाते थे। इसके बाद उनका एडमिशन 7 किमी दूर एक स्कूल में करवा दिया गया था।
हालांकि, इस सरकारी स्कूल तक आने-जाने के लिए 2 रुपये लगते थे, तब सविता कई बार पैदल ही स्कूल चली जाती थीं। फिर उनकी मां को उस गांव में एक छोटी सी नौकरी मिल गई थी और सविता को वहीं शिफ्ट होने का मौका मिला।11वीं-12वीं में उन्होंने बायोलॉजी विषय के साथ पढ़ाई की थी, तभी उनके लिए एक बड़े घर से रिश्ता आ गया था। 16-17 साल की उम्र में उनकी मर्जी के खिलाफ उनकी उस लड़के से सगाई कर दी गई थी। लेकिन बाद में उनके अपने पति के साथ अनबन शुरू हो गई और उनके पति ने उन्हें तलाक दे दिया। इसके बाद से ही सविता ने आईएएस अफसर बनने का सपना देखना शुरू कर दिया और उन्होंने खूब मेहनत किया और आज वह आईएएस अफसर बन चुकी हैं।