पटना डेस्क: अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या के बाद अब पुराने कई मामले उजागर हो रहे हैं। जिसमें मुख्तार अंसारी और एक डीएसपी की कहानी भी सामने आई है। जहां पीसीएस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने मुख्तार अंसारी की वजह से अपना पद त्याग दिया था। शैलेंद्र के दादा राम रूप सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे। शैलेंद्र खुद एक बहादुर पुलिस अफसर थे और वे सिस्टम के खिलाफ जाकर मुख़्तार अंसारी से तब भिड़ गए थे, जब कोई यह हिम्मत भी नहीं कर पाता था। लेकिन अंत में राजनैतिक दबाव के कारण उन्हें पीछे हटना पड़ा और अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा।
दरअसल शैलेंद्र सिंह ने 2004 में ही एक मामले में मुख़्तार अंसारी के खिलाफ पोटा के तहत केस दर्ज करने की सिफारिश सरकार को भेज दी थी। उस समय वे एसटीएफ में डीएसपी धर्म की तोड़ी बेड़ियां, सालों पुराने प्यार से रचाई शादी, बिल्कुल फिल्मी है ये लव स्टोरीपद पर तैनात थे। हांलाकि राजनैतिक कारणों की वजह से सरकार की ओर से मुख़्तार पर से मुक़दमा हटाने का दबाव बनाया गया, लेकिन सुरेंद्र सिंह ने इससे इनकार कर दिया और इस्तीफ़ा दे दिया।
बता दें कि शैलेंद्र सिंह का बचपन उनके गांव सैयदराजा में बीता है। यहीं पर उन्होंने 8वीं तक की पढ़ाई की है। शैलेंद्र के पिता भी डीएसपी थे। वे 8वीं के बाद शैलेंद्र को देवरिया लेकर चले गए और यहीं से उनकी हाई स्कूल की पढ़ाई लिखाई हुई. वहीं इंटरमीडिएट उन्होने बस्ती जनपद से किया है। शैलेंद्र ने इलाहाबाद से ग्रेजुएशन किया और यहीं पर उन्होंने सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी की। वर्ष 1991 में उन्होंने पीसीएस परीक्षा पास कर ली और वे अपने पिता की तरह डिप्टी एसपी बन गए थे।
इसी के साथ मुख़्तार अंसारी कांड के चलते इस्तीफ़ा देने के बाद उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया। वर्ष 2004 में वे वाराणसी से निर्दलीय चुनाव लड़े। इसके बाद 2006 में वे कांग्रेस में शामिल हुए और 2009 में कांग्रेस की टिकट से चंदौली से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे।