नौहट्टा| बारिश नहीं होने के कारण खेती का कार्य शुरू नहीं होने से निराश होकर मजदूर काम की तलाश में बाहर पलायान करने लगे हैं। प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों से मजदूरों का जत्था काम की तलाश में देश के अलग-अलग शहरों में जा रहे हैं। सरकारी स्तर पर क्षेत्र में मनरेगा योजना भी लगभग ठप ही है। उक्त कारण मनरेगा मजदूरों को अब स्थानीय स्तर पर भी काम नहीं मिल रहा है। गांव-घर में काम नहीं मिलने और परिवार चलाने की चिंता ने मजदूरों को पलायन के लिए विवश कर दिया है। प्रखंड क्षेत्र में मौसमी कैलेंडर के अनुसार योजनाओं का संचालन नहीं होने से मनरेगा मजदूरों के पास काम के लाले पड़ गये हैं।(रोहतास: दिखने लगी बिहार)
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मजदूरी को लेकर घर से बाहर पलायन करना उनकी मजबूरी हो गयी है। हर दिन क्षेत्र के अलग-अलग गांवों से मजदूर समूह में पलायन कर रहे हैं। बुधवार को भी प्रखंड के मजदूर बड़ी तादाद में बाहर चले गये। बाहर जा रहे मजदूरों ने कहा कि सरकार सिंचाई का भी अभी तक बंदोबस्त नहीं कर सकी है। बारिश नहीं होने से धान का पैदावार नहीं होने की संभावना दिख रही है। बिजली के भरोसे कितनी खेती होगी। कृषि स्तर पर भी काम मिलने की संभावना नहीं है। सरकार के द्वारा भी कोई पहल नहीं की जा रही है। ऐसा नहीं है कि सरकार तक क्षेत्र की भयावहता व सुखाड़ की स्थिति की जानकारी नहीं पहुंची है। अगर नहीं पहुंची है तो प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही है।(रोहतास: दिखने लगी बिहार)
सरकार को तत्काल योजनाओं पर काम शुरू करना चाहिये ताकि मजदूरों को स्थानीय स्तर पर काम मिलता। इससे मजदूरों की पलायन की स्थिति नहीं आती। पीओ रमेश प्रसाद बताते हैं कि प्रखंड में चार अमृत सरोवर का काम चल रहा है। जिसमें कुछ मजदूरों को काम दिया गया। आहर, पईन आदि का काम बंद कर दिया गया है। समाजसेवी वसंत कुमार ने नौहट्टा व रोहतास प्रखंड को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग राज्य सरकार से की है और मौसमी रोजगार किसानों के बिजली बिल की माफी तथा उचित मुआवजा देने की मांग की है।