बिहार में राजद और कांग्रेस में एक बार फिर तनातनी शुरू हो गई है, क्योंकि बिहार में जल्द कैबिनेट विस्तार होने वाला है। कांग्रेस की हिस्सेदारी वाली मांग पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि पहले कांग्रेस मंत्रियों की लिस्ट लेकर आए। फिर उस पर बात की जाएगी। जिस पर अब कांग्रेस तेजस्वी यादव से काफी नाराज हो गई है। कांग्रेस का मानना है कि कैबिनेट विस्तार पर फैसला तेजस्वी यादव को नहीं बल्कि सीएम नीतीश कुमार को लेना चाहिए ।
वहीं, बिहार कांग्रेस के मुखिया अखिलेश प्रसाद सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सिंह ने कहा कि नीतीश कैबिनेट का विस्तार होना है, ना कि तेजस्वी कैबिनेट का. बिहार सरकार में कांग्रेस कोटे से अभी अफाक आलम और मुरारी गौतम मंत्री हैं। अगस्त 2022 में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर महागठबंधन की सात पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई।सरकार में नीतीश-तेजस्वी समेत 31 मंत्री बनाए गए. इनमें राजद से 17, जेडीयू से 12, कांग्रेस से 2 और हम-निर्दलीय कोटे से एक-एक मंत्री बनाए गए।
इसी के साथ कांग्रेस ने यहीं से विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। पार्टी का तर्क था कि 80 सीटों वाली राजद को 17 पद और 19 सीटें वाली कांग्रेस को सिर्फ 2 पद दिए गए हैं। सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्रियों को भी कमजोर विभाग दिया गया. उस वक्त गुलाम नबी आजाद जैसे दिग्गज नेताओं ने भी इसको लेकर सवाल उठाए। विवाद बढ़ा तो कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने ऐलान कर दिया कि कांग्रेस कोटे से 2 और मंत्री अगले विस्तार में बनाए जाएंगे. जनवरी में जब विस्तार की सुगबुगाहट तेज हो गई तो कांग्रेस ने 2 पद की मांग कर दी, जिसे नीतीश कुमार ने तेजस्वी से सुलझाने के लिए कह दिया।