पटना डेस्क: बिहार में दिवंगत रामविलास पासवान की विरासत को लेकर केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस और उनके भतीजे चिराग पासवान के बीच तीखी बहस जारी है। जिसके बाद लोग यही सवाल कर रहे कि क्या अब लोजपा का अस्तित्व खत्म हो जाएगा? अब इस मामले पर सूरजभान सिंह ने भी अपनी चुप्पी तोड़ दी है।
दरअसल, अभी लोजपा के दो धड़े हैं। इसमें एक गुट रालोजपा के मुखिया पशुपति पारस, तो दूसरे लोजपा (रामविलास ) के प्रमुख चिराग पासवान हैं। जिस तरह से विवाद जारी है। इसी को लेकर अब एक इंटरव्यू में सूरजभान सिंह ने पशुपति पारस औरUPPSC: बस स्टैंड पर पिता चलाते हैं पान की दुकान, अब बेटी बनी डिप्टी कलेक्टर चिराग पासवान को गिले-शिकवे दूर कर साथ आने की सलाह दी। उनका कहना है कि उन्होंने दोनों को बहुत समझाया है। दोनों साथ नहीं आए तो दिवंगत रामविलास पासवान की पार्टी का अस्तित्व मिट जाएगा। आपकी झोपड़ी (पार्टी) कैसे बचे इसके बारे में सोचना है। इसके लिए दोनों की जवाबदेही हैं।
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एक रिपोर्ट के अनुसार लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके भाई और बेटे चिराग के बीच जंग छिड़ गई थी। चिराग पासवान अपने आपको पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित कर रहे थे। इस बात से उनके चाचा पशुपति पारस खुश नहीं थे और उन्होंने भी अपना अधिकार पार्टी पर जताना शुरू कर दिया था। जिस वजह से दोनों के बीच विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि दो धड़े बन गई। इसके बाद पारस ने अन्य सभी सांसदों को अपने खेमे में कर दिया और चिराग पासवान अलग-थलग पड़ गए। फिर चिराग ने एनडीए से नाता तोड़ दिया।
वहीं, रामविलास की जगह पशुपति पारस केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बने। इस तरह लोजपा दो धड़ों में बंट गई।सूरजभान सिंह, रामविलास पासवान के करीबी नेता रहे। उनके निधन के बाद सूरजभान ने पशुपति पारस के गुट का समर्थन किया। हालांकि, अब उन्होंने किसी भी गुट में न रहने की बात कहते हुए पासवान परिवार की लड़ाई को खत्म करने की सलाह दी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि पारस और चिराग आपस में सुलह करके एक पार्टी बनाते हैं या नहीं।