चेनारी। समाज सेवा की भावना हो तो इसे कभी भी और कहीं से भी शुरुआत की जा सकती है। बस जरूरत है तो एक आत्मविश्वास और कुछ अलग करने की चाहत। कुछ ऐसा ही कर रहे हैं चेनारी प्रखंड अंतर्गत तेलारी गांव निवासी 28 वर्षीय इंजीनियर सत्येंद्र सेठ। नागपुर से इंजीनियरिंग करने के बाद कोलकाता में मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहे सत्येंद्र सेठ पिछले 2 वर्षों से अपने गांव पर रहकर वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। कोरोना काल की वजह से कंपनी की गाइड लाइन के अनुसार अपने घर से ही कंपनी के सभी कार्यों को संपादित कर रहे हैं। उसी दौरान गांव में घूमने के क्रम में गरीब बच्चे बच्चियों को खेलते हुए देख उनके मन में अपने गांव के बच्चों के लिए कुछ नया करने का विचार आया और अपने ही गांव के मकान में सतेंद्र सेठ ने इंजीनियर की पाठशाला शुरु कर दी। जहां वे गरीब बच्चों के साथ-साथ गांव के अन्य बच्चे- बच्चियों को निशुल्क में पढ़ाना शुरू कर दिया। उक्त पढ़ाई में अंग्रेजी बोलने के साथ-साथ कंप्यूटर की पढ़ाई को भी जगा दिया।(इंजीनियर की पाठशाला में)
बच्चो को कर रहे गाईड
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गांव में बच्चों की पढ़ाई के स्तर को देखते हुए बच्चों को ग्रामीण परिवेश की पढ़ाई से बाहर निकालने के लिए इंजीनियर सत्येंद्र सेठ ने बच्चों को विशेष शिक्षा देने की सोची और उसके लिए उन्होंने अपने घर में निशुल्क पाठशाला शुरू कर दिया। बच्चों से बातें करके उनके कैरियर के बारे में जानकारी लिया और बच्चों के कैरियर के अनुसार उन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। पिछले 2 वर्षों से सतेंद्र सेठ अपने घर में बच्चों को पढ़ाते आ रहे हैं, इसके लिए वे किसी भी प्रकार का किसी से सहायता नहीं लेते हैं. वे स्वयं अपने पैसे से कंप्यूटर खरीद कर बच्चों को कंप्यूटर का ज्ञान भी देना शुरू कर दिया ताकि ग्रामीण परिवेश में रहने वाले बच्चे समय के साथ चल सके। इसके अलावा सत्येंद्र सेठ बच्चों से लगातार बात करते हैं और उनके सपनों को पूरा करने में उनकी मदद करते हैं। साथ ही साथ समय-समय पर छात्र-छात्राओं के बीच पढ़ाई से संबंधित प्रतियोगिता करा कर टॉप छात्र छात्राओं को पुरस्कृत भी करते हैं, ताकि उनके बीच में प्रतियोगिता के माध्यम से पढ़ाई को लेकर बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना आये और वे लोग बेहतर परिणाम दे।(इंजीनियर की पाठशाला में)
ऑनलाइन के माध्यम से कराएंगे पढ़ाई
सतेंद्र सेठ बताते हैं कि अपने नौकरी पर जाने के बाद भी वे बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ेंगे। इसके लिए उन्होंने अभी से ही बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई की जानकारी के साथ-साथ पढ़ाई की शुरुआत कर दी है। उन्होंने बताया कि जब वे कोलकाता चले जाएंगे तो काम के बाद 2 घंटे का समय निकालकर अपने गांव के बच्चों को ऑनलाइन के माध्यम से पढ़ाएंगे। उन्होंने बताया कि वे चाहते हैं कि उनके गांव के बच्चे भी अच्छी तरह से पढ़ाई करके सरकारी नौकरियों के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों में अच्छे पोस्ट पर नौकरी करें।(इंजीनियर की पाठशाला में)