बिहार में NDA की सरकार थी तब भी BPSC की परीक्षाओं पर सवाल उठ रहे थे। 67वीं BPSC की पेपर लीक होने के बाद तब विपक्ष के नेता रहे तेजस्वी यादव ने छात्रों को 10 हजार रुपए हर्जाना देने की मांग की थी। अब जब उनकी सरकार है और पेपर लीक हुआ है तो वह चुप हैं। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट खूब वायरल हो रहा है। बेच देंगे क्वेश्चन पेपर बाजार में, भरिए न फॉर्म बिहार में!
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तीन साल की डिग्री पांच-छह साल में पूरी करके छात्र BPSC और BSSC की परीक्षा देने के लिए योग्य होते हैं, फिर दिन-रात मेहनत कर सरकारी नौकरी के सपने लेकर परीक्षा देने जाते हैं। लेकिन जब बाहर आते हैं तो पता चलता है कि महीनों की उनकी मेहनत बेकार हो गई है, क्योंकि क्वेश्चन पेपर लीक हो गया।
पहले मैट्रिक-इंटर की परीक्षा को लेकर बिहार चर्चा में रहा और अब प्रतियोगिता परीक्षा में पेपर लीक के कलंक से बिहार दो-चार हो रहा है। पहले बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा का पेपर लीक हुआ, हंगामा हुआ तो परीक्षा को रद्द कर दिया गया। एसआईटी का गठन हुआ और जांच शुरू। इसके बाद परत दर परत खुलासे हो रहे हैं, लेकिन दोषी कौन? यह पता नहीं चला है।
बिहार में 23 और 24 दिसम्बर को BSSC की परीक्षा हुई है। 23 तारीख को प्रथम पाली में हुए परीक्षा का प्रश्नपत्र परीक्षा शुरू होने के कुछ देर बाद ही लीक हो गया। विपक्ष हमलावर हुई तो सरकार ने 23 तारीख की परीक्षा रद्द कर दी। इधर 24 तारीख को हुए परीक्षा को लेकर भी छात्र संशय में हैं।
बीजेपी आरोप लगा रही है कि बिहार में नियुक्ति आने के साथ ही उसकी बोली लग जाती है। सोशल मीडिया पर भी एक पोस्ट खूब वायरल हो रहा है। बेच देंगे क्वेश्चन पेपर बाजार में, भरिए न फॉर्म बिहार में।
पेपर लीक होने के बाद छात्र कह रह हैं कि हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। बिहार की शिक्षा व्यवस्था माफियाओं के कब्जे में है। छात्रों ने कहा कि पहले तो यह परीक्षा 8 साल बाद हुई। हमने जी-जान लगाकर तैयारी की जिसका रिजल्ट पेपर लीक है।
छात्रों का कहना है कि इस तरह पेपर लीक होने से हमारा आर्थिक, मानसिक और समय तीनों का नुकसान होता है। इसलिए हमारी मांग है कि सरकार प्रतियोगी परीक्षाओं को फुल प्रूफ कराए।
बड़ा सवाल है कि बिहार में बार-बार पेपर लीक क्यों हो रहा है? इसका जवाब शायद यह है कि इसमें परीक्षा तंत्र में शामिल लोग, कोचिंग माफिया और एग्जाम सेंटर पर तैनात कर्मियों की मिली-भगत है। BPSC पेपर लीक मामले की जांच में जो खुलासे हो रहे हैं, वह भी इस तरफ ही इशारा कर रहे हैं।
बिहार में परीक्षा कराने वाली संस्थाओं पर सालों से लोग पदों पर काबिज हैं। छात्रों का आरोप है कि आयोग के अंदर से पेपर लीक की साजिश रची जाती है। इसमें करोड़ों रुपए का खेला होता है और छात्रों का भविष्य बेच दिया जाता है।