कई आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर काले आलू की बिहार के गया में खेती की जाएगी। इसके लिए विशेष तौर पर अमेरिका से 1500 रुपए प्रति किलो की दर से बीज मंगवाए गए हैं। अमेरिका के बाजार में इसकी कीमत 3-4 डालर प्रति किलो है। इसकी खेती आम आलू की तरह ही की जाती है और तीन महीने में फसल आ जाती है। ट्रायल के तौर पर इसकी शुरुआत कर रहे गया के प्रगतिशील किसान आशीष सिंह ने बताया कि प्रयोग सफल रहा तो इसे बड़े पैमाने पर फैलाने की तैयारी है। इस आलू की उपरी सतह काली, तो आंतरिक भाग गहरे बैंगनी रंग का होता है। यह आलू कई औषधीय गुण होने के कारण सफेद आलू की तुलना में अधिक स्वास्थ लाभ देता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स से आलू की माप होती है, जो 0-100 तक होता है। अगर आलू का जीआई 70 से अधिक होता है तो उसे उच्च माना जाता है। तुलनात्मक अध्ययन में काले आलू का जीआई 77 पाया गया है। जबकि पीले आलू का जीआई 81 और सफेद आलू का जीआई 93 होता है। काला बैगनी आलू विशेष रूप से एंथोसायनिन नामक पालीफेनोल एन्टीआक्सीडेंट से भरपूर होते हैं।
जानकारी के अनुसार गया के प्रगतिशील किसान आशीष सिंह ने इसकी ट्रायल खेती 14 किलो आलू के साथ शुरू की है। काला आलू गया के टिकारी प्रखंड क्षेत्र के गुलरियाचक गांव में प्रयोग के तौर पर लगाया गया है। 14 किलो काले आलू का बीज अमेरिका से मंगाया है, जोकि 1500 रुपए प्रति किलो पड़ा है। उच्च एंथोसायनिन का सेवन स्वास्थ्य कोलेस्ट्रॉल के स्तर, बेहतर दृष्टि और हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह के कम जोखिम सहित कई लाभों से जुड़ा रहता है। इस आलू से रक्तचाप और रक्त वाहिका स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। यह आंशिक रूप से उच्च पोटेशियम सामग्री पाए जाने के कारण होता है। इसमें सफेद आलू के मुकाबले अत्याधिक पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो ब्लड शुगर के लिए बेहतर है।