सरकारी सिस्टम में जो ना हो जाए सो कम। ऐसा ही मामला बिहार सरकार के उड्डयन विभाग का भी है जहां सरकार के पास दो विमान भी है और दो हेलीकॉप्टर भी। लेकिन इन चारों को उड़ाने के लिए स्थायी पायलट एक भी नहीं है। बीते तीन साल से बिहा सरकार के सिविल विमानन निदेशालय के वायुयान संगठन के पास अपना एक भी पायलट नहीं है। नतीजन उड़ान भरने के लिए निजी क्षेत्र की सेवाएं ली जा रही है जिसमें हर महीने जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रूपए के वारे-न्यारे भी हो रहे हैं। यानी बिहार के नेताओं और अधिकारियों को उड़ान भरने के लिए जो खर्च करना पड़ रहा है उसका बोझ सरकारी खजाने पर अलग है और जो सरकारी विमान व हेलीकॉप्टर पड़े-पड़े कबाड़ हो रहा है वह भी बिहार का नुकसान है। ऊपर से इन जहाजों के रखरखाव का खर्च अलग से हो रहा है जिसका हासिल कुछ भी नहीं है। हालांकि अच्छी बात यह है कि बिहार में पायलट के रिक्त पदों को देखते हुए राज्य सरकार संविदा के आधार पर निदेशक संचालन सह मुख्य विमान चालक के पद पर संविदा के आधार पर नियुक्ति करने की तैयारी कर रही है। इसको कैबिनेट ने स्वीकृति भी दे दी है। इस पद पर नियुक्ति को लेकर जल्द ही विज्ञापन जारी किया जायेगा। विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा इसकी नियुक्ति की जायेगी। यानी बताया तो जा रहा है कि स्थिति में जल्दी ही सुधार होगा लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह कब तक होगा।
स्थिति यह है कि राज्य सरकार के पास दो प्लेन और दो हेलीकॉप्टर हैं। इनमें से एक विमान पूरी तरह से ग्राउंड हो चुका है, जबकि दूसरे विमान का ऑपरेशन कराया जा रहा है। इधर, सरकार के पास दो हेलीकॉप्टर हैं, जिनमें एक बहुत पहले ही ग्राउंड हो चुका है,जबकि दूसरा हेलीकॉप्टर पिछले छह माह पहले मुजफ्फरपुर में उतरने के बाद उड़ान ही नहीं भर सका। इसे बाद में ट्रक पर लाद कर पटना स्टेट हैंगर में ग्राउंड कर दिया गया है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा हेलीकॉप्टर से उडान भरने के लिए भाड़े का हेलीकॉप्टर लिया गया है, जिसका किराया प्रति माह एक करोड़ से अधिक का है। उधर, राज्य सरकार के विमान संगठन के सभी रिक्त पद होने के कारण उसकी जिम्मेदारी बिहार उड्डयन संस्थान के प्रमुख को दिया गया है। उल्लेखनीय है कि बिहार में सिविल विमानन निदेशालय के दो विंग हैं, जिनमें वायुयान संगठन और बिहार उड्डयन संस्थान काम करते हैं। वायुयान संगठन वीआइपी व वीवीआइपी उड़ानों का संचालन और मेंटनेंस करता है। संगठन को संचालित करने के लिए नौ पदों की स्वीकृति दी गयी है। इसमें एक निदेशक संचालन सह मुख्य विमान चालक, उसके नीचे अपर निदेशक संचालन सह वरीय अपर मुख्य विमान चालक का एक पद, उसके नीचे संयुक्त निदेशक सह मुख्य विमान चालक का एक पद, फिर दो राजकीय विमान चालक और चार विमान चालक के पद शामिल हैं। इन नौ पदों में किसी भी पद पर पायलट की नियुक्ति नहीं की गयी है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जून 2019 के बाद से निदेशक संचालन सह मुख्य विमान चालक के पद पर कार्यरत पदाधिकारी की सेवानिवृत्ति के बाद से नयी नियुक्ति नहीं की गयी। इस पद को अपर निदेशक संचालन सह वरीय अपर मुख्य विमान चालक को प्रोन्नति से भरना था। नीचे के किसी भी पद पर पदाधिकारियों के नहीं रहने का परिणाम है कि अब नियमित नियुक्ति होने तक संविदा पर निदेशक संचालन सह मुख्य विमान चालक की नियुक्ति का फैसला लिया गया हैं।