पटना डेस्क: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक तरफ विपक्षी एकता को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ उन्हें लगातार झटके मिल रहे हैं। पूर्व सांसद डॉ मोनाजिर हसन ने रविवार को जद(यू) की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया है. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जदयू से इस्तीफा देने की की सूचना उन्होंने मुख्यमंत्री नितीश कुमार एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष, जनता दल (यू) को दे दी है।
वहीं, हसन ने कहा कि जदयू अपने मूल सिद्धांतों से भटक गयी है और ऐसा लगता है कि अब पार्टी को हमारे जैसे लोगों की कोई जरुरत नहीं. चंद स्वार्थी लोग पार्टी को दीमक की तरह चाट रहे हैं. उन्होंने कहा कि महागठबंध के किसी दल में मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं बच गयी है. उसे न तो मंच पर जगह दी जा रही है और न ही सरकार, संगठन में हिस्सेदारी दी जा रही है. अगर कोई हिस्सेदारी दी भी गयी है तो वो भी पैसों के लेन-देन से ही संभव हो पाया है।
इसी के साथ उन्होंने कहा कि मुसलमानों को आज सबसे अधिक नुकसान धर्मनिरपेक्ष दलों से ही पहुंचा है. इनका काम सिर्फ भाजपा से डराना रह गया है. डर की राजनीति से मुस्लमान को बाहर निकलना होगा. लोकसभा, विधानसभा चुनाव में समुचित हिस्सेदारी नहीं दी जा रही है. आज महागठबंधन में बड़े बड़े मुस्लिम नेता हाशिये पर डाल दिये गये हैं. माय समीकरण सिर्फ कहने भर ही है सच तो ये है कि मुसलमानों को महागठबंधन में सम्मान नहीं मिल रहा है, जैसे इफ्तार पार्टी में मुस्लिम नेताओं को फ्रंट में जगह तक नहीं दी गयी, लगभग 18 प्रतिशत आबादी का सिर्फ इन्हें वोट चाहिए मुस्लिम नेता नहीं।