दाउदनगर (औरंगाबाद): दाउदनगर के सोन तटीय क्षेत्र में काली स्थान में स्वयंभू बाबा भूतनाथ विराजमान हैं। यह मंदिर काफी प्राचीन है। यह इलाका काफी पवित्र माना जाता है।क्योंकि यंहा शिवमंदिर के अलावे काली मंदिर,सूर्यमन्दिर, बाबा गणिनाथ मंदिर समेत कई देवताओं का स्थान है। ।सोन तटीय क्षेत्र में जब भी अंतिम संस्कार के लिए कोई भी शव जाता है तो एक बार जरूर बाबा भूत नाथ के मंदिर के निकट रखा जाता है।बाबा भूत नाथ के शिवलिंग वाले इस मंदिर में जो भक्त सच्चे मन से बाबा भूतनाथ की पूजा करते हैं, उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। यंहा प्रतिदिन भक्तों द्वारा शिव की आराधना की जाती है।बुजुर्ग बताते हैं कि मुगलों के समय का यह मंदिर है।सदियों पुराने इस मंदिर का अद्भुत कहानी है।(सोन तटीय क्षेत्र में)
नींव से निकला था शिव लिंग:
बताया जाता है कि जब किला बनते समय नींव की खुदाई में तीन शिवलिंग निकला था, तीनो शिवलिंग को अलग अलग बैल गाड़ी पर लाद छोड़ा गया था जो जहां ठहर गया वहीं स्थापित हो गया।उसी शिवलिंग में से एक शिव लिंग बाबा भूत नाथ की है जब कि दो में एक अंछा में महादे स्थान व एक बालू गंज स्थित बुढ़वा स्थान का बुढ़वा महादेव हैं।किला के नींव के लिए खुदाई में निकले तीनो शिवलिंग एक ही सिरा में स्थापित है।जो एक सीधा सिरा में है।
जोगिया बाबा ने दिया था त्रिशूल:
पुजारी राधा मोहन मिश्र बताते हैं कि पूर्वजो के अनुसार
जब यह मंदिर का निर्माण हो रहा था तो दिनभर कार्य ठीक से होता था पर जब दूसरे दिन देखा जाता था तो बन रहा दीवार गिरा हुआ मिलता था।लोग कहने लगे कि यह कोई प्रेत का कार्य है वही कुछ इसे किसी का शरारत बता रहे थे ।यह हर दिन हो रहा था लोगो ने तय किया रात में पहरा दिया जाए।पहरा भी दिया गया पर फिर सुबह कार्य ध्वस्त मिला।ऐसा ही एक रात लोग पहरा दे रहे थे तभी जोगिया बाबा नामक साधु उधर से गुज़र रहे थे ।लोगो की भीड़ देख पूछ बैठे की क्या बात है तब लोगो ने उन्हें बताया कि मंदिर के निर्माण में बाधा पहुंच रहा है पता नही कैसे रात में ध्वस्त हो जा रहा है। तब जोगिया बाबा ने लोगो को एक त्रिशूल दिया और बोले कि जैसे जैसे निर्माण का कार्य आगे बढ़ेगा इसी आगे गाड़ते रहिएगा, लोगो ने ऐसा ही किया और सचमुच उस दिन के बाद कोई बाधा नही पहुंचा और मंदिर का निर्माण हो गया ,वह त्रिशूल आज भी मंदिर के गुबंद पर लगा हुआ है। मंदिर के गुबंद पर लगा हुआ त्रिशूल में कोई जोड़ नही है।