गढहरा:- आर्य समाज के संस्थापक सह महान स्वंत्रता सेनानी व समाज सुधारक स्वामी महिर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य पर रविवार को रेलवे कॉलोनी गढहारा आर्य समाज मंदिर परिसर में जयंती समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में एपीएसएम बरौनी के हिंदी विभागध्यक्ष डॉ. नंदकिशोर पंडित मौजूद रहे। वहीं आगत अतिथियों को मनोचिकित्सक डॉ. हेमंत कुमार एवं वरिष्ठ शिक्षक रामस्वार्थ सिंह उर्फ कविजी ने अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया। वहीं मौके पर डॉ. पंडित ने कहा कि आज ही के दिन 12 फरवरी 1824 को गुजरात के टंकारा में स्वामी दयानंद सरवस्ती का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्णजी लालजी तिवारी और मां का नाम यशोदाबाई था। दयानंद सरस्वती का असली नाम मूलशंकर था। उन्होंने 1875 में मुंबई के गिरगांव में आर्य समाज की स्थापना की। श्री पंडित ने कहा आर्य समाज के नियम और सिद्धांत प्राणिमात्र के कल्याण के लिए है। उन्होंने वेदों की सत्ता को सदैव सर्बोपरि माना।(vआधुनिक भारत के दूरदर्शी आधुनिक भारत के दूरदर्शी)
सत्यार्थ प्रकाश के लेखन में उन्होंने भक्ति ज्ञान के अतिरिक समाज के नैतिक उत्थान एवं समाज सुधार भी जोर दिया। श्री पंडित ने कहा दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के चिंतक तथा आर्य समाज संस्थापक थे। महिर्षि दयानंद सरस्वती का दिखाया मार्ग करोड़ों लोगों में आज संचार करता है। वहीँ समस्तीपुर से आये वैदिक भजनोपदेशक कपिल शर्मा ने वेद आधारित भजनों के माध्यम से स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन पर प्रकाश डाला। जो वेदों में उसे मानना ही पड़ेगा। ओ३म के झंडे के नीचे आना ही पड़ेगा। वहीं इसी क्रम में भजनोपदेशक श्री शर्मा के मधुर भजन से श्रद्धालु मंत्रमुग्ध दिखे। इसके पूर्व जयंती समारोह कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक यज्ञ-हवन से की गयी। वहीं समारोह का संचालन प्रचार मंत्री सुशील राणा एवं धन्यवाद ज्ञापन मंत्री प्रेम कुमार पिंटू ने किया। मौके पर अशोक प्रसाद,लवकुश दास,परमेश्वर गुप्ता,रामप्रवेश आर्य,माया देवी,आतिश प्रसाद सिंह,बिंदु कुमारी एवं राहुल कुमार समेत दर्जनों आर्य सदस्य मौजूद थे।