हाजीपुर वैशाली:-कवि कभी मरते नहीं सदैव जिंदा रहते हैं शब्दों, संवेदनाओं, पुस्तकों और पीढियों में। उक्त बातें राष्ट्र के प्रसिद्ध बालकवि राज नारायण चौधरी की 86 वीं जयंती में बतौर मुख्य अतिथि प्रख्यात साहित्यकार डॉ. नंदेश्वर प्रसाद सिंह नंदू ने कहीं।भारतीय काव्य-मंच के तत्वावधान में बाबू शिवजी राय मेमोरियल लाइब्रेरी सभागार में कविवर राज नारायण चौधरी की जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. शिव बालक राय प्रभाकर ने की, जबकि संचालन प्रो. वीर भूषण यादव ने किया। चौधरी की प्रेम गीत, प्रेम पल्लव, जागो युवा शक्ति, दीप हमारे बच्चे सारे, झूमे नाचे गाए हैं हम, पंख किसने रंगे हैं, अगड़म बगड़म ना ना ना, आस्था के स्वर, मँजर गया ठूँठ पेड़, मेघ-मेघ प्यास प्रकाशित पुस्तकों में शामिल है। वे धर्म युग, पांचजन्य, आजकल, राष्ट्रधर्म, नवगीत, प्रदीप, नंदन, लोटपोट, बालभारती राष्ट्रीय पत्रिकाओं में नियमित कवि थे।अतिथियों द्वारा राज नारायण चौधरी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। विवेका चौधरी ने वाणी वंदना प्रस्तुत किया। स्वागत भाषण कविता नारायण ने किया। विषय प्रवेश कराते हुए प्रसिद्ध युवा साहित्यकार मेदिनी कुमार मेनन ने उनके जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला और उन्हें बाल कवि ही नहीं, बल्कि प्रेम, पीर के साथ साथ नैसर्गिक सौंदर्य के कवि भी बताया।भारतीय काव्य मंच के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र प्रियदर्शी ने राज नारायण चौधरी की कविताओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की केन्द्र सरकार एवं बिहार सरकार से मांग की। बतौर अति विशिष्ट अतिथि साहित्य के मर्मज्ञ सत्येन्द्र प्रसाद सिंह ने बाल कविता के मर्म पर विस्तार से प्रकाश डाला। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए डॉ. शिव बालक राय प्रभाकर ने चौधरी साहब को जन जागृति के सशक्त साहित्यिक हस्ताक्षर के रुप में रेखांकित किया।
दूसरे सत्र में अर्णव शाण्डिल्य और कविता नारायण ने चौधरी की कई बाल कविताओं व गीतों का सस्वर पाठ किया। उक्त कार्यक्रम में चाँदनी श्रीवास्तव, राजेश पराशर, सुरेन्द्र चौधरी, मुकेश कुमार शर्मा, वेद वत्स, प्रो. इन्दु कौशल, अंजू चौबे, मृत्युंजय द्विवेदी, अधिवक्ता आकाश कुमार, साकेत कुमार द्विवेदी, राजेश कुमार शर्मा, राजीव कुमार सिंह, विजय कुमार विनीत मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रणविजय कुमार ने दिया।