मंझौल : ऐतिहासिक राजकीय परिषद मध्य विद्यालय मंझौल में पदस्थापित दृष्टिवाधित शिक्षिका ने अपने विद्यालय प्रधान के विरूद्ध कई संगीन आरोप लगाते हुए बीडियो को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है। दिए गये आवेदन में मंझौल पंचायत दो निवासी दिव्यांग राजीव कुमार की पत्नी शिक्षिका रजनी कुमारी ने 30 मार्च 2007 से उक्त विद्यालय में पदस्थापित होने की बात बताते हुए वर्तमान विद्यालय प्रधान नरेन्द्र सहनी के कार्यकाल में पहले दिन से, विगत कुछ माह से अपमानित महसूस करने की बात कही है। शिक्षिका ने बताया कि मेरे पति विद्यालय प्रधान से मिलकर अनुकूल वातावरण निर्माण हेतु आग्रह कर चुके हैं परंतु पति के द्वारा पैरवी करने पर परिस्थितियां सुधरने के बजाय और बिगड़ ही गई है। कई बार विद्यालय प्रधान से सही जगह साइकिल, मोटर साइकिल आदि वाहन लगवाने का आग्रह किया। भोजन का अवशिष्ट एवं गंदा पानी यत्र-तत्र विखरा रहता है,जिसके फलस्वरूप मैं विद्यालय परिसर में कई बार गिर चुकी हुं। लेकिन विद्यालय प्रधान जानकारी मिलने पर परस्थितियों में सुधार के बजाय निरीक्षण हेतु पहुंचने वाले ग्रामीण के साथ मिलकर भद्दा मज़ाक उड़ाते हैं।(विद्यालय प्रधान से आहत विद्यालय प्रधान से आहत )
दिव्यांग शिक्षिका सामान्य विद्यालय में शिक्षण कार्य हेतु होते हैं अयोग्य
पीड़ित शिक्षिका की मानें तो विद्यालय प्रधान उनके पदस्थापन का खिल्ली उड़ाते हुए सरकार को कोसने से भी बाज़ नहीं आते हैं बल्कि विद्यालय प्रधान प्राय: ऐसे बोलते सुने जाते हैं कि सरकार अंधी, बहरी, गुंगी और लंगड़ी है। इसलिए दृष्टिबाधित एवं दिव्यांग शिक्षक/शिक्षिकाओं को सामान्य विद्यालय में नियुक्त करती है। उनके इस कथन से विद्यालय शिक्षा समिति के सचिव एवं अन्य सदस्य गण भी सहमत नजर आते हैं। फलत: विद्यालय सर्वेक्षण हेतु आमंत्रित ग्रामीण सदस्यों के द्वारा प्रतिदिन अयोग्य होने का प्रमाण पत्र मिलते रहता है। जिसके सबब मैं मानसिक रूप से बीमार सी हो गई हूं। अगली घंटी में किस वर्ग में क्या पढ़ाना है,यह विद्यालय के वातावरण एवं प्रधान की भाव भंगिमा से भयभीत होकर तड़प उठती हूं कि पता नही, कौन कब किस शब्दावली से मुझे अपमानित करते हुए निकल जाएगा.
स्थानांतरण करवा लेने की बात कहते हुए करते हैं प्रताड़ित
पीड़ित शिक्षिका रजनी ने बताया कि विद्यालय प्रधान साफ लफ्ज़ों मे यह कहते हैं कि अगर आपको नौकरी करनी है तो आप अपना स्थानांतरण ऐसी जगह करवा लिजिए जहां सिर्फ आपको बिठाकर रखा जाय। जबकि नियुक्ति तिथि से 2021 के अंत तक मुझे कभी आभाषित नहीं हुआ कि मैं एक शिक्षिका के तौर पर अध्यापन कार्य में अयोग्य हूं। शिक्षिका ने पत्र में मार्मिक तरीके से बीडीओ को बताया है कि हमारे पति भी शिक्षित पर बेरोजगार की श्रेणी में हैं। इस प्रकार इस ग्रामीण परिवेश में जीविकोपार्जन के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं है। विद्यालय प्रधान द्वारा पैदा की गई परस्थितियों के कारण मेरा दाम्पत्य जीवन भी प्रभावित हो गया है। साथ ही एसक्लूसिव एजुकेशन के दौड़ में मेरी निजि एवं समाजिक हितों की रक्षा हेतु विद्यालय में अनुकूल एवं सम्मानजनक वातावरण पैदा किया जाय ताकि अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए समाज को सही स्थिति का परिचय दे सकूं।