आरा : वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के एमबीए विभाग में एमबीए फोर्थ सेमेस्टर सत्र 2020-22 के परीक्षार्थी छात्रों के प्रोजेक्ट आधारित वाइवा वोसे की परीक्षा में राजभवन द्वारा स्वीकृत नियमावली और कुलपति के अनुमोदन सम्बन्धी अधिकारों को नजरअंदाज कर शनिवार को वाइवा वोसे की परीक्षा आयोजित कराई गई।
वीकेएसयू में फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट साइंस के एमबीए विभाग के डायरेक्टर प्रोफेसर जितेंद्र कुमार को फोर्थ सेमेस्टर की प्रोजेक्ट आधारित वाइवा वोसे की परीक्षा संचालित कराने के लिए राजभवन और विवि द्वारा स्वीकृत एमबीए के ऑर्डिनेंस एंड रेगुलेशन के तहत दो वाह्य परीक्षकों की नियुक्ति करने के बाद इन दोनों नामों के पैनल को वीकेएसयू के कुलपति प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार चतुर्वेदी के पास भेजकर उसका अनुमोदन कराना अनिवार्य था।
एमबीए के डायरेक्टर ने शनिवार को आयोजित प्रोजेक्ट आधारित वाइवा वोसे की परीक्षा में राजभवन और विवि द्वारा स्वीकृत एमबीए के ऑर्डिनेंस एंड रेगुलेशन की धज्जियां उड़ाते हुए बिना वाह्य परीक्षक की नियुक्ति के ही सिर्फ विवि के एचडी जैन कॉलेज के कॉमर्स विभाग के अवकाशप्राप्त शिक्षक प्रो. राजेन्द्र पाण्डेय और पीजी कॉमर्स की एक शिक्षिका डॉ. किरण को परीक्षक नियुक्त कर वाइवा वोसे की परीक्षा आयोजित करा ली गई।इन दोनों की योग्यता एमबीए की नही है और दोनों स्थानीय हैं।
सूत्र बताते हैं कि वाह्य परीक्षक एमबीए की योग्यता रखने वाले और वीकेएसयू के बाहर के ही होने चाहिए किन्तु वाह्य परीक्षक की नियुक्ति के मामले में एमबीए के डायरेक्टर द्वारा ऐसा नही किया गया।
कुलपति के वाह्य परीक्षक नियुक्ति सम्बन्धी नामों के पैनल को अनुमोदित करने के अधिकार को भी छीन लिया गया।सब कुछ अति गोपनीय ढंग से किया गया,जिसमे नियमो के विरुद्ध जाकर परीक्षा आयोजित कराए गए।
मामले की कुलपति स्तर से जांच हुई तो एमबीए के डायरेक्टर पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है।
बता दें कि एमबीए फोर्थ सेमेस्टर की वाइवा वोसे की परीक्षा में कुल 60 परीक्षार्थी शामिल हुए हैं जिसके लिए वीकेएसयू के परीक्षा नियंत्रक डॉ. अनवर इमाम ने परीक्षा के कार्यक्रम पूर्व में ही बीते 29 नवम्बर 2022 को मेमो नम्बर 1903/एक्जाम/2022 के द्वारा जारी कर दिया था।