सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की बेंच ने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को बरकरार रखा। सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर तबके को 10% आरक्षण दिए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया है। जिसकी सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की बेंच बैठी थी,जंहा 5 न्यायाधीशों में से 4 ने EWS आरक्षण जरी रहेगा. यह सरकार के फैसले को संवैधानिक ढांचे का उल्लंघन नहीं माना है।
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सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की बेंच ने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को बरकरार रखा। जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 10% EWS आरक्षण प्रदान किया गया है।
चार न्यायाधीश अधिनियम को बरकरार रखने के पक्ष में जबकि एक न्यायाधीश ने इसपर असहमति जताई। pic.twitter.com/Xx4K4SJgkG
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 7, 2022
सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की बेंच में से EWS के पक्ष में 4 न्यायाधीशों ने अपना फैसला सुना दिया है. जिनका नाम जस्टिस बेला त्रिवेदी, चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, और जस्टिस जेबी पारदीवाला है। वही EWS के पक्ष में 1 न्यायाधीश ने असहमति जताई है जिनका नाम जस्टिस रविन्द्र भट है. रविन्द्र भटा ने कहा कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा SC/ST/OBC का है. उनमें बहुत से लोग गरीब हैं. इसलिए, 103वां संशोधन गलत है. जस्टिस एस रविंद्र भाट ने 50 प्रतिशत से ऊपर आरक्षण देने को भी गलत माना है.