सासाराम। फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लेकर केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकार द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसी के तहत बुधवार को सासाराम स्थित एक निजी होटल में डब्ल्यूएचओ के तत्वावधान में फाइलेरिया को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन रोहतास के सिविल सर्जन डॉ के एन तिवारी एवं एसीएमओ डॉ अशोक कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर डॉ के एन तिवारी ने कहा कि हाथीपांव और हाइड्रोसील की समस्या ज्यादा सुनने को मिलती और यह समस्या फाइलेरिया रोग है। फाइलेरिया की रोकथाम के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें एमडीए अभियान मुख्य है ।(फाइलेरिया बीमारी को किया)
इस अभियान के तहत साल में एक बार दवा खिलाई जाती है। लगातार पांच सालों तक दवा खाने से फाइलेरिया रोग का प्रसार रोका जा सकता है। फाइलेरिया से प्रभावित होने पर उसका लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देता है। उसका लक्षण 10 से 12 साल बाद ही देखने को मिलता है। इसलिए लगातर चार से पांच सालों तक दवा खाने से फाइलेरिया को रोका जा सकता है। मौके पर डब्ल्यूएचओ के एसएमओ आफाक आमिर अहमद, केयर इंडिया के डीटीएल दिलीप मिश्रा,विश्व स्वास्थ्य संगठन के डा राजीव चंद्र कुमार सहित जिले के सभी प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सक और बीसीएम मौजूद रहे।(फाइलेरिया बीमारी को किया)
एमडीए प्रोग्राम में किया गया बदलाव
कार्यशाला में पटना एवं गया प्रमंडल के जोनल कॉर्डिनेटर डॉ अरुण कुमार ने सभी प्रखण्ड प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सक एवं बीसीएम को फाइलेरिया को लेकर बताया कि बिहार के लगभग सभी जिलों में हाथीपांव एवम हाइड्रोसील के मरीज पाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया बीमारी को रोकने के लिए एमडीए प्रोग्राम कितना जरूरी है । एमडीए प्रोग्राम में भी अब बदलाव किया गया है।(फाइलेरिया बीमारी को किया)
उन्होंने बताया कि फाइलेरिया की जांच के लिए अब जिले के सभी प्रखंडों में नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान जिस ब्लॉक में फाइलेरिया के लक्षण या मरीज पाए जाएंगे उसी प्रखण्ड में ही एमडीए प्रोग्राम अभियान चलाया जाएगा। जिस प्रखण्ड में फाइलेरिया के मरीज नहीं मिले तो उस प्रखण्ड में एमडीए प्रोग्राम नहीं चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से पीड़ित मरीजों के किये सभी जिलों में एमएमडीपी क्लीनिक खोला जा रहा है। जहाँ हाथीपाँव से पीड़ित मरीजों का क्लीनिकल उपचार एवं परामर्श प्रदान कर किया जा रहा है।(फाइलेरिया बीमारी को किया)
क्लीनिकल उपचार की दी गई जानकारी
लेप्रा संस्था के स्टेट कॉर्डिनेटर रजनीकांत सिंह ने हाथीपांव के सभी अवस्थाओं को बताते हुए पीड़ित मरीजों के सूजन कम करने के लिए क्लीनिकल थैरेपी के बारे में बताया। इस दौरान हाथीपांव से पीड़ित मरीज पर ऑन स्पॉट प्रैक्टिकल कर के एमएमडीपी क्लीनिकल उपचार कर के बताया जिससे हाथीपांव में आये सूजन को कम किया जा सके।(फाइलेरिया बीमारी को किया)