बिक्रमगंज (रोहतास )— विषम परिस्थितियों में कार्यों को आसान कर दे उसे किसान कहते हैं। हालांकि समय-समय पर विद्वानों द्वारा किसानों के सम्बंध में अलग-अलग परिभाषित किया गया। परंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उक्त पंक्ति चरितार्थ हो रही है। धान के कटोरा के नाम से सुप्रसिद्ध बिक्रमगंज अनुमंडल क्षेत्र सुखाड़ का मार झेल रहा , अनियमित विद्युत आपूर्ति, नहरों में पानी नहीं पहुंचना तथा अधिक मूल्यों पर उर्वरक खरीदना मानो किसानों की दिनचर्या बनी हुई है। विषम परिस्थितियों को झेल खेत में लगाए गए धान फसल को जंगली जानवरों के द्वारा नष्ट पहुंचाए जाने से किसान काफी चिंतित दिख रहे हैं।
वन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण मैदानी भू -भाग में नीलगाय ,हिरण एवं जंगली सूअर के विचरण से बड़े पैमाने पर धान की फसल हो रहे नष्ट। किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए बहाल कृषि पदाधिकारी एवं कर्मी फसल क्षति का प्रतिवेदन भेजने में नहीं लेते हैं अभिरुचि । वन्यजीवों के संरक्षण अधिनियम से भयभीत किसान फसलों को बचने हेतु जंगली जानवरों को खदेड़ना उचित नहीं समझते। वन विभाग वन्यजीवों के सुरक्षा प्रदान करने के लिए अधिनियम बनाया। परंतु किसानों के हितों की सुरक्षा हेतु बनाए गए “किसान आयोग” ने किसानों की सुरक्षा व बचाव तथा राहत के लिए अब तक कोई नीति इस सम्बंध में नहीं बनाई ।

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम–
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जंगली जीवो को सुरक्षा प्रदान हेतु सरकार ने 1972 में यह अधिनियम लाया। जनवरी 2003 में संशोधन कर जुर्माना एवं सजा को और कठोर कर दिया गया ।
भारतीय दंड संहिता——
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भारतीय दण्ड संहिता
428 ,429 (पशु क्रूरता अधिनियम) के तहत 2 हजार रुपये जुर्माना अथवा 5 वर्ष का कारावास निर्धारित। नया धारा 51(ए) सम्मिलित कर दिए जाने से जमानत प्राप्त की प्रक्रिया हुई जटिल।
दण्ड निर्धारित—–
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वन्य जीवों पर प्रथम बार शिकार करने के आरोप में दोषी पाए जाने पर 10 हजार रुपये आर्थिक दंड एवं 3 वर्ष का कठोर कारावास। तथा पुनरावृत्ति होने पर 25 हजार रुपये आर्थिक दंड के साथ 7 वर्ष की कठोर कारावास की प्रावधान निर्धारित है ।
किसान आयोग—-
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राष्ट्रीय कृषि नीति की घोषणा 28 जुलाई 2000 में की गई, जबकि किसानों की हितों की रक्षा हेतु किसान आयोग का गठन 18 नवंबर 2004 को की गई।
मुआवजा प्रावधान —
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तितो मण्डल , वनों के क्षेत्र पदाधिकारी बिक्रमगंज ने कहा कि जंगली जीवों से फसल क्षति मुआवजा प्राप्त हेतु सीओ या वन पदाधिकारी के कार्यालय में किसान आवेदन कर सकते है। जांचोपरांत मुआवजा भुगतान का प्रावधान है।
अधिवक्ता बोले—-
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रघुनन्दन कु0 सिंह उर्फ नन्दन अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि कानून को पालन करते हुए संवैधानिक अधिकारों को अपनाएँ।