करगहर| किसानों को याद आने लगा उनीस सौ छाछठ का अकाल,वर्षा नही होने से मायुस किसानों ने गांव गांव में कराने लगे कृतन। इन दिनों किसान के लिए वर्षा उतना ही महत्वपूर्ण है जितना एक भूखे व्यक्ति के थाली मे भोजन देना। इस तरह का मॉनसून पिछले कई दशक बाद देखने को मिल रहा है। इस बार आसमान से वर्षा का जल स्तर बहुत कम गिरा । जिसको लेकर किसान त्राही त्राही कर रहे है। स्थिती यह हो गई है कि धान के बिचड़े को बचाने के किसान दिन रात एक कर दिये है। रात रात भर जग के किसी तरह कठ्ठा,दस कठ्ठा, एक बीघा खेत की रोपनी किसी तरह करा रहे है। लेकिन कहा गया है ” का वर्षा जब कृषि सुखानी ” वाली मुहावरा चरितार्थ होती है।(रोहतास: वर्षा नही होने)
इन्द्रपुरी जलाशय मे भी जल संकट उत्पन्न हो गई है
उधर इन्द्रपुरी जलाशय मे भी जल संकट उत्पन्न हो गई है। वर्षा नही होने से इन्द्रपुरी जलाशय का वाटर लेबल 355 पौंड से निचे हो जाने से गारा चौबे नहर व करगहर राजवाहा को पर्याप्त पानी नही मिल पा रहा है। जिससे नहर से पटवन करना भी मुश्किल दिखाई दे रहा है। इन्द्रपुरी जलाशय से इस कठिन परिस्थिति मे पानी मिलना नामुमकिन दिखाई दे रहा है जिससे खेती पर इसका असर देखने को मिल रहा है। जानकारी के अनुसार रिहंद एवं वाणसागर से भी बिहार के हिस्से का पूरा पानी नही मिल पा रहा है। लिहाजा किसानों को खेत की रोपनी करने मे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। (रोहतास: वर्षा नही होने)
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क्या कहते है किसान
इस सावन के महीने मे जहाँ वर्षा की रिमझिम शोर सुनाई देती थी वही आज जेठ की दुपहरी का एहसास किसानों को काफी हद तक दुःख दे रहा है। किसान बच्चा सिंह यादव,रामाशंकर सिंह, ननु खान, राकेश सिंह, पिंटू सिंह, अयोध्या साह ,निमडिहाने बताया कि इस वक्त धान के बिचड़े को बचाने के लिए मोटर मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि मॉनसून के दस्तक देते ही जल्द से जल्द धान की रोपनी किया जा सके। हम किसान सुबह उठकर सबसे पहले वर्षा के इंतजार मे आसमान की तरफ देखते है। लेकिन अभी तक निराशा हाथ लगी है।