अभेदानन्द आश्रम आर्य समाज मंदिर बारो परिसर में रविवार को यज्ञ हवन एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम के मुख्य यजमान अंशुमन आर्य साहित्य भोला एवं पूजा आर्या थे।विद्वान पुरोहित भूपेंद्र द्वारा यज्ञ हवन संपन्न कराया गया।जिला आर्य सभा बेगूसराय के प्रधान शिवजी आर्य ने कहा कि आर्य समाज ईश्वर को निराकार मानता है।निरंकार होने के कारण ईश्वर का कण-कण में होना संभव है।इसलिए आर्य समाज ईश्वर को निराकार मानता है। (वेद पढ़ना सुनना और वेद पढ़ना सुनना और)
ईश्वर निराकार है।निराकार की कोई मूर्ति नहीं होती। जैसे भूख,प्यास,दुख-सुख और हवा के होते हुए भी कोई मूर्ति नहीं हो सकती।आर्य समाज वेदों को सत्य शिक्षाओं की पुस्तक मानता है और इसे ईश्वर प्रदत्त ज्ञान मानता है।ईश्वर को सृष्टि के आरंभ में चार ऋषियों के मुख से कहलवाया।वेदों को पढ़ना पढ़ाना,सुनना सुनाना और इनके अनुसार आचरण करने को ही परम धर्म मानता है।आर्य समाज भूत-प्रेत या अन्य किसी प्रकार की भय वाली आकृति को नहीं मानता कारण इनका वेदों में कोई उल्लेख नहीं है। कुछ लोग कह देते हैं कि अकाल मृत्यु वाले जीव भूत-प्रेत बनकर भटकते है।यह मिथ्या धारणा हैं।
आर्य समाज गंडा,डोरी,ताबीज,ग्रहों का अच्छा बुरा प्रभाव,फलित ज्योतिष, शगुन-मुहुर्त आदि को नहीं मानता। ईश्वर कल्याणकारी हैं किसी का बुरा नहीं करते।मनुष्य ने सभी दिन,महीना साल अपनी काल गणना के लिए बनाये है।उनका अच्छा-बुरा होने का प्रश्न ही नहीं उठता।मौके पर राजेन्द्र आर्य,रवींद्रनाथ आर्य,राजेंद्र आर्य, सुरेंद्र झा, राम स्वार्थ आर्य,अचार्य अरुण प्रकाश आर्य संतोष आर्य, अरुण आर्य, कैलाश आर्य,राम प्रवेश आर्य,विक्रम आर्य, रणवीर,गोविंद, सोनू,अग्निवेश,सुखेन सहित दर्जनों की संख्या में आर्य समाज के महिला एवं पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।