तम्बाकू एक प्रकार के निचोटीयना प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सूखा कर नशा करने की वस्तु बनाई जाती है। तम्बाकू nicotia tabacum पौधे से प्राप्त किया जाता है। धीरे धीरे यह जानलेवा बन सकता है।
यह सर्वविदित है कि पूरे संसार में तम्बाकू का दुरुपयोग cigratte के रूप में किया जाता है। भारत में इसका उपयोग अन्य रूप में भी किया जाता है। बिड़ी, हुक्का,गुल, जर्दा,किमाम, खैनी, गूटख़ा आदि के रूप में। तम्बाकू का प्रयोग किसी भी रूप में किया जाए इसका शरीर पर दुष्प्रभाओ पड़ता ही है।(तम्बाकू छोड़ें ज़िन्दगी बचाएँ)
गूटख़ा खाने से होती हैं यह बिमारिया
गुटखा या गुटका ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस (एसएमएफ, जिससे व्यक्ति अपना मुंह पूरा नहीं खोल पाता है) की आशंका को बढ़ाता है, इसमें मुंह के किसी भी विशेष क्षेत्र में कोलेजन फाइबर की अनियमित वृद्धि होती है, यह कैंसर से पहले होने वाला एक प्रबल रोग है। एक अध्ययन से पता चलता है कि चार भारतीयों में से एक को मुंह का कैंसर एसएमएफ से होता है। सुपारी में मौजूद कैंसर जनक एल्कलॉइड तंबाकू के साथ उपयोग किए जाने पर स्थिति को बिगाड़ देते हैं।(तम्बाकू छोड़ें ज़िन्दगी बचाएँ)
हाजीपुर: बिहार में पिछले 08 वर्षों में बिहार में रेलवे द्वारा आधारभूत संरचना को मजबूत करने की दिशा में नई लाइन, आमान परिवर्तन, दोहरीकरण की कई परियोजनाओं को किया गया पूरा
कुछ अध्ययन बताते हैं कि गुटखे में पाए जाने वाले तत्व पेट, एसोफैगस, मूत्राशय और आंत जैसे कई अन्य आंतरिक अंगों में भी कैंसर पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। लंबे समय तक गुटखा उपयोग करने से स्ट्रोक और हृदय रोग के कारण मौत की संभावना बढ़ जाती है। मुंह में सफेद दाग (ल्यूकोप्लाकिया), मुंह में लाल दाग (एरिथ्रोप्लेकिया), मुंह के मुलायम ऊतकों पर घाव और गांठे होने लगती है, जो मुंह के कैंसर में बदल सकती हैं, उनमें आमतौर पर दर्द नहीं होता हैं। भारत में कुल कैंसर का 40% हिस्सा मुंह का कैंसर होता है।
अन्य उत्तेजक की तरह यह ब्लड प्रेशर में असामान्य परिवर्तन का कारण बनता है और धुंधला दिखने के साथ जलन, चक्कर आने का कारण भी बनता है। गुटखा का उपयोग करने वाली गर्भवती महिलाएं कम वजन के शिशु को जन्म देती हैं। गुटका छोड़ने से पैदा होने वाले लक्षण तम्बाकू के समान ही होते हैं, रोजाना गुटखा खाने वाले कई लोगों में क्रोध, कुंठा, चिड़चिड़ापन, चिंता और अवसाद जैसे लक्षण गुटखा छोड़ने के तुरंत बाद दिखाई देते हैं।
सिगरेट बीड़ी छोड़ने के उपाय
सिगरेट पीने वाले सिगरेट द्वारा न केवल स्वयं को शारीरिक हानि पहुँचा रहे है बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से (पैसिव स्मोंकिंग द्वारा) परिवार तथा बच्चों में भी तम्बाकू का विष पहुँचा रहे हैं। यह सब जानते हुए भी वह इनका सेवन बन्द नही कर पाते। जब भी वह इसका सेवन बंद करते है, तो उन्हें इतनी बेचैनी होती है कि वे उनका फिर से सेवन शुरू कर देते है।
इसके लिए आवश्यकता है कि व्यक्ति खुद को तैयार करे कि वह एक निश्चित दिन से धुम्रपान करना बंद कर देगा। इसकी घोषणा पूरे परिवार में कर दे। निश्चित दिन के पहले घर से सिगरेट पाउच, एशट्रे, आदि धुम्रपान वस्तुओं को फेंक दे। निश्चित दिन में धुम्रपान करना बंद कर दे। यदि धुम्रपान करने की इच्छा हो तो अपने को सांतवना दे। अधिक से अधिक पानी पीएँ। ऐसा करके आप धुम्रपान करना छोड़ सकते हैं। यह बहुत कुछ आपके इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है।
खैनी, जर्दा खाना या गुल, गुड़ाकू का अधिक प्रयोग किसी भी तरह धुम्रपान के उपयोग से अलग नही है। यदि कोई इन पदार्थो को छोड़ना चाहे तो उसे भी स्वयं को तैयार कर इच्छाशक्ति द्वारा इन पदार्थों के आदतों से मुक्ति पा सकते हैं। जब कोई व्यक्ति चाह कर भी तम्बाकू तथा उससे संबंधित मादक पदार्थ बंद नही कर पाये और यदि वह इस विषय में बहुत गंभीर है तो इसके लिए सी. आई. पी. आदि कई संस्थानों में नशाबंदी के लिए विशेष सुविधा है। इसमें मनोवैज्ञानिक रूप से रोगियों को तैयार किया जाता है तथा उचित औषधियों तथा व्यवहार चिकित्सा द्वारा इसका इलाज किया जाता है।