तरारी / मीडिया दर्शन | प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में अधिकारियों द्वारा सरकार के कार्यरत योजनाओं की जांच के सिलसिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की खामियां उजागर हो रही है | अधिकांश केंद्रों पर बच्चों की उपस्थिति औसतन 8 से 10 तक ही सीमित है | जबकि नामांकन 35 से 40 दर्ज रहती है | प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार जिज्ञासु ने बुधवार को सारा और कुसुम्ही आंगनवाड़ी केंद्रों की जांच की | इस केंद्रों पर बच्चों को उपस्थिति मात्र 8 से 10 पाई गई | जबकि सेविकाओं ने 35 बच्चों की उपस्थिति बनाई थी | ऐसी स्थिति प्रखंड के तमाम केंद्रों पर देखी जा रही है |
अधिकारियों के निरीक्षण में सदैव घोर अनियमितता मिल रही है | इससे स्पष्ट तौर पर मालूम पड़ता है कि सीडीपीओ सुपरवाइजर और सेविकाओं के मिलीभगत से पोषाहार राशि में लूट खसोट जारी है | निरीक्षण में कई बातें सामने आ रही है कि कई केंद्रों पर सीडीपीओ या सुपरवाइजर द्वारा कई वर्षों तक निरीक्षण ही नहीं किया गया है | प्रखंड के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर सरकार द्वारा दी जा रही पोषाहार राशि बंदरबांट की भेंट चढ़ गई है | सीडीपीओ और सुपरवाइजर द्वारा अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का सही ढंग से निर्वहन नहीं करने के कारण केंद्रों पर कार्यरत सेविका और सहायिका मनमानी पर उतारू हैं |
सरकार द्वारा इस विभाग पर करोड़ों -अरबों रुपए खर्च करने के बावजूद भी जरूरतमंदों को इसका तनिक भी लाभ नहीं मिल रहा है | कुछ माह पूर्व तरारी प्रखंड प्रमुख डेजी कुमारी भी बड़कागांव महादेवपुर समेत कई केंद्रों का निरीक्षण किया था | प्रमुख द्वारा की गई निरीक्षण में भी केंद्रों पर राशि के दुरुपयोग समेत कई कमियां देखी गई थी | पोषाहार राशि का दुरुपयोग का मामला ग्रामीणों द्वारा भी समय-समय पर कई बार उठाया जाता रहा है | पर किसी तरह का कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है | ऐसे में ग्रामीण जनता अपने को खामोश रखने में ही बेहतर समझती है |
समाजसेवी अनिल सिंह प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में अनियमितता और राशि के बंदरबांट पर प्रखंड मुख्यालय पर कई बार धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल किए | ग्रामीण जनता की आवाज और समाजसेवियों द्वारा समय-समय पर प्रखंड मुख्यालय प्रांगण में धरना प्रदर्शन और अनशन भी इस विभाग पर कोई असर नहीं डाल सका | ऐसे में विभाग की मनमानी चरम पर होना लाजमी है | सीडीपीओ या सुपरवाइजर या केंद्रों के सेविका और सहायिका सभी कर्मी अपने मनमानी तरीके से चलते हैं | अब ग्रामीणों को थोड़ा आश जगी है कि सरकार के निरीक्षण कार्यक्रम से शायद जरूरतमंदों को थोड़ा लाभ मिल सके |