समस्तीपुर| प्राचीन मिथिला के मैथिल ब्राह्म्णों की एक मात्र राजवंश ओईनवार राजवंश की प्रथम राजधानी, महाकवि कवि कोकिल विद्यापति की कर्मस्थली ओईनी (वैनी) आज अपने महान गौरवशाली अतीत के गर्द में अपना ही अस्तीत्व तलाश रहा है। प्रख्यात साहित्यकारों, इतिहासकारों, समकालीन ग्रन्थों व अभिलेखों के अनुसार महाकवि विद्यापति जी ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 20-22 वर्ष यहाँ बिताये थे। कीर्तिलता, कीर्तिपताका, जैसे कई ग्रन्थों के अलावा पदावली के अधिकांष हिस्से की रचना भी उन्हों ने यहीं रह कर की थी। 12वीं शताब्दी के आस-पास भक्ति और श्रृंगार रस के महाकाव्यों के रचयिता, राजा शिवसिंह के बाल सखा महाकवि विद्यापति जिस मिट्टी में खेल कर जवान हुए, दिल्ली से सुल्तान अलसान ने एकाधिक बार जिस धरती पर रक्त-पात मचाया विडम्बना है कि उस धरती का जिला स्तर पर महत्वपूर्ण स्थलों की सूची में जिक्र भी नहीं है। (महाकवि विद्यापति की कर्मस्थली)
यही नहीं आज नयी पीढी को जब यह बताया जाता है कि महाकवि विद्यापति ने अपना बचपन एवं अपनी जवानी यहीं बितायी थी तो वे कौतुहल भरी नजरों से देखने लगते हैं। कीर्तिसिंह का बचपन, महाराजा शिव सिंह-विद्यापति की मैत्री, विद्यापति-लखिमा दई का सात्विक प्रेम, मुगल शासकों के आक्रमण, जैसी अनेकानेक यादों को अपने सीने में दबाये यह धरती वर्षों से किसी उद्धारक का रास्ता देख रही है। सरकारी स्तर पर इस धरती की उपेक्षा का हाल यह है कि, आरंभ में ओईनवार वंष की राजधानी के आधार पर नामित ओईनी में बने रेलवे स्टेशन का नाम ओईनी रखा गया। अंग्रेजों ने ओइनी को वैनी कहना आरंभ कर दिया तथा बाद में पूसा का महत्व बढने के साथ पूसा का करीबी स्टेशन होने के नाते ओईनी (वैनी) रेलवे स्टेशन का नाम वैनी पूसा रख दिया गया। इस तरह ओईनी का वजूद भी अतीत की गहराईयों में समाता चला गया।(महाकवि विद्यापति की कर्मस्थली)
आज आलम यह है कि जिला मुख्यालय एवं रेल मंडल मुख्यालय के महत्वपुर्ण स्थानों की सुची में ओईनी का जिक्र भी नहीं है। दोनों ही मुख्यालयों के नजर में जिले भर मे विद्यापति से सम्बन्धित एक विद्यापति नगर ही है। जबकि यहाँँ उन्होंने सिर्फ पतितपावनी गंगा का आह्वान किया था और मोक्ष प्राप्त किया था। जहाँ विद्यापति ने अपना बहुमुल्य समय बिताया उस ओईनी का सरकारी स्तर पर कोई नाम लेने वाला भी नहीं है। अब तो इस गुमनामी का दंश झेल रही एतिहासिक धरती के एक हिस्से पर पंचायत सरकार भवन की बुनियाद डाली जा चुकी है। तो एक हिस्से पर धनंजय कुमार झा, की अध्यक्ष्ता में गठित दुर्गापूजा समिति हर वर्ष चैत्र नवरात्र का आयोजन करती है। ताकि विद्यापति की स्मृतियों को जिन्दा रखा जा सके।
विद्यापति एजुकेशनल एण्ड वेलफेयर ट्रस्ट के कार्यकर्ता बताते हैं कि समय समय पर क्षेत्र के सांसदों व विधायकों को इस धरती पर पर्यटन के पर्याप्त कारण होने की ओर ध्यानाकृष्ट कराते हुये, यहाँ खुदाई कराने, एवं ओईनी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कराने का आग्रह किया जाता रहा है। मगर आश्वासन से अधिक आज तक कुछ नही मिल सका है। पुरातत्व विभाग के पदाधिकारी भी इस संदर्भ में एकाधिक बार इस स्थल का दौरा कर चुके हैं किन्तु परिणाम अब तक शुन्य ही रहा है। देखना है कि कभी कोई इस धरती का तारणहार आता भी है या नहीं।