रोहतास/नौहट्टा। लंबे समय के संघर्ष के बाद सोन नदी पर प्रस्तावित पंडुका श्रीनगर पुल का टेण्डर प्रक्रिया दो माह पहले ही फाइनल हो गया। पुल निर्माण को लेकर प्रखंड के ग्रामीणों में कभी खुशी तो कभी गम का माहौल छा जाता है।बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा बिहार व झारखंड राज्य को जोड़ने वाला सोन नदी पर 196 करोड़ 12 लाख रुपये का निविदा आमंत्रित किया गया था। जिसमें कुल 26 संवेदकों ने टेण्डर डाला था। 26 में से 2 टेण्डर पेपर फेल हो गया था। न्यूनतम दर 26 प्रतिशत डालने वाले मेसर्स बृजेश अग्रवाल को कार्य आबंटन किया गया है। मेसर्स बृजेश अग्रवाल द्वारा 196 करोड़ के स्थान पर 144 करोड़ में कार्य पूरा करने का सहमति जताया गया है।संभावना व्यक्त की जा रही थी कि तीस जनवरी तक काम शुरू होगा लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया निराशा बढ़ती चली गई।

पुल निर्माण के लिए दो वर्ष तक समय दिया गया है तथा संवेदक को 10 वर्ष तक पुल का रख रखाव करना है। केंद्रीय मंत्री नीतीन गडकरी, स्थानीय सांसद छेदी पासवान, पूर्व विधायक ललन पासवान, झारखंड राज्य के पलामू सांसद बीडी राम द्वारा बार बार आश्वस्त किया गया है कि पंडुका मे पुल बनेगा लेकिन सारी प्रक्रिया पुरी होने के बाद भी काम शुरू नहीं हो रहा था जिससे प्रखंड के लोगों में बेचैनी बढ गयी है। उलेखनीय है कि इस पुल के निर्माण के लिए केंद्रीय सड़क एवं इंफ्रास्ट्रक्चर फंड सीआरइएफ के तहत 204.24 करोड की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी है ।
गढ़वा जिला के श्रीनगर और रोहतास जिला के पंडुका के बीच सोन नदी पर पुल बन जाने से आवागमन की सुविधा हो जायेगी। वहीं व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ेगी। क्षेत्र का औद्यौगिक विकास होगा। साथ ही लोगों को आने जाने के लिए एकमात्र सहारा नाव ही था। जो बरसात में एक दो बार ही इस पार से उस पार जाता था। तीन किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए लोगों को 150 किलोमीटर का दूरी तय करना पड़ता था। जिसके कारण लोगों को आर्थिक नुकसान के साथ साथ समय का भी नुकसान होता था।
सोन नदी पर इस पुल के बन जाने से बिहार के रोहतास जिला और झारखंड राज्य के गढ़वा व पलामू जिला का तेजी से आर्थिक विकास भी होगा। पुल निर्माण के पूरा होने से बिहार-झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश के बीच आवागमन का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। साथ ही क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक व औद्योगिक उन्नति होगी। राज्य से गुजरने वाला सोन नदी पर प्रखंड के पंडुका में बनने वाला यह छठा पुल होगा। इस पुल को बनने से बिहार और झारखंड राज्य सीधे जुड़ जायेंगे। उलेखनीय है कि यह पुल पहले से ही पीएम पैकेज में शामिल था। लेकिन बिहार सरकार ने इस पुल की राशि को भागलपुर में विक्रमशिला सेतु के समानांतर पुल बनाने के लिए भेज दिया। 1900 सौ करोड़ से बनने वाला गंगा नदी के इस पुल का खर्च बिहार सरकार के अनुशंसा पर अब केन्द्र सरकार वहन कर रही है । प्रधानमंत्री की ओर से अगस्त 2015 में आरा में घोषित सवा लाख करोड़ के बिहार पैकेज में राज्य के कई सड़को व पुलों को शामिल किया गया था। जिसमें सोन नदी पर बनने वाला पंडुका पुल भी शामिल था।
पंडुका व श्रीनगर के बीच आठ इंजीनियर की टीम ने दो दिन तक सर्वे किया। जब शुक्रवार को ग्रामीणों ने पूछताछ की तब पता चला कि पुल निर्माण के लिए सर्वे की जा रही है। टीम में दो छत्तीसगढ़ राज्य के, दो झारखंड राज्य के, बिहार राज्य दो पटना और दो गया के इंजीनियर थे। बता दें कि जब डीपीआर तैयार करने के लिए 2012 में टीम आयी थी तब 1337 मीटर सोन नदी की मापी हुई। इन दस वर्षों मे बाढ़ के पानी से कटाव के कारण चौड़ाई में वृद्धि हुई। शनिवार की देर शाम पंडुका पीपल चौक के पास स्वायल टेस्ट करने के लिए मशीन को ट्रक लेकर पहुंचा तो लोगों में खुशी का ठिकाना न रहा। हांलाकि दो बार पहले भी स्वायल टेस्ट हो चुका है।
जिसमें पहली बार छब्बीस स्थानों से बोरवेल करके मिट्टी ली गयी है तथा दूसरी बार सात बोरवेल करके मिट्टी ली गयी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार दूसरी बार स्वायल टेस्टिंग मे एक स्थान पर उनसठ मीटर, तीन स्थान पर छब्बीस मीटर तथा तीन स्थानों पर बारह मीटर अंदर से मिट्टी ली गयी है। जानकार बताते हैं कि पुल में छब्बीस पाया बनेगा। जिसमें सात पाया मुख्य होगा। रविवार से तीसरी बार स्वायल टेस्टिंग शुरू किया गया है। पूर्व विधायक ललन पासवान बताते हैं कि कंपनी द्वारा कम से कम तीन स्थानों पर स्वायल टेस्ट की जानी है। स्वायल टेस्टिंग के बाद पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। कंपनी तीन अधिक स्थानों पर स्वायल टेस्ट के लिए स्वतंत्र हैं।मंत्री नीतिन नवीन को विधायक सहित भाजपा कार्यकर्त्ताओं ने बधाई दी है।