रांची। 2005 मे आरटीआई कानून लागू होते ही 17 बिंदुओं की जानकारी सभी लोग प्राधिकारी को स्वतः उजगार करनी थी। यह बातें पलामू ज़िला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रामदेव प्रसाद ने एक बातचीत में कहा। उन्होंने कहा कि इसमें 17 बिंदु की व्यवस्था 17 साल बाद भी लागू नहीं हो पायी है विशेष कर झारखंड राज्य में। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी विषय पर केंद्र सरकार को पिछले महीने नोटिस भी जारी किया है।
यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है की आरटीआई एक्ट की धारा 4 के तहत 17 बिंदु की जानकारी 2005 में कानून लागू होने के 120 दिन के अंदर ही सभी लोग प्राधिकारी को पब्लिक प्लेटफॉर्म पर साझा करनी थी पर अब तक यह जानकारी उपलब्ध नहीं है।
क्यों जरूरी है धारा 4 का लागू होना
17 बिंदु एक तरह से विभाग का आईना होता है। इसमें विभाग की कार्यप्रणाली, अधिकार क्षेत्र, किस कानून और नियमो के तहत कार्रवाई की जाती है। कार्यालय की व्यवस्था, बजट, अधिकारियों, कर्मचारियों, तन्ख्वाह और शाखा की जानकारी आदी होते है। धारा 4 का उद्देश्य यह भी था की लोक प्राधिकारी समय समय पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी वेबसाइट पर डालें ताकि आरटीआई का उपयोग कम से कम हो और लोगों को स्वतः वेबसाइटों के माध्यम से जानकारी मिल सके।
धारा 4 की आरटीआई लगाने की जरूरत नहीं
आरटीआई आवेदन दायर करने की जरूरत ही नहीं है, क्योंकि यह जानकारी स्वतः जिले की वेबसाइट एवं मुख्य कार्यालय पर उपलब्ध होनी है । उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि
राज्य सरकार धारा 4 के तहत 17 बिंदुओं की जानकारी जिलों की वेबसाइट एवं मुख्य कार्यालय की वेबसाइट प्रदर्शित कराना सुनिश्चित करे । झारखंड राज्य सूचना आयोग द्वारा ऑनलाइन सुनवाई की व्यवस्था सुनिश्चित करे । वांछित सूचना प्राप्त करने की ऑनलाइन सुविधा प्रदान करने के लिए प्रदेश की सभी कार्यालय क्रियाशील किया जाए।