औरंगाबाद : संस्कृति और परंपरा का लोक पर्व कर्मा-धर्मा का पर्व इस बार 25 सितंबर को मनाया जाएगा। बहने अपनी भाई की सुख समृद्धि की कामना व दीर्घायु को लेकर उपवास रखते हुए पूजा अर्चना करेंगी। यह त्यौहार हर वर्ष भाद्र मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। जो इस वर्ष 25सितंबर को पड़ रहा है। पंडित लाल मोहन शास्त्री ने बताया कि भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए बहने अपने घर के बाहर तालाब बनाती हैं। उसे अच्छी तरह फल-फूल से प्राकृतिक सौंदर्य देने के लिए सजाती हैं। इसके उपरांत संध्या में नए – नए परिधानों में सज धज कर देवाधिदेव महादेव माता पार्वती और प्रथम पूजनीय सिद्धिविनायक की पूजा अर्चना करती हैं। इसके बाद तालाब के चारों ओर घूम घूम कर कर्मा धर्मा का गीत गाती हैं। घर के आंगन में जहां साफ-सफाई किया गया है वहां विधिपूर्वक करम डाली को गाड़ा जाता है।
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उसके बाद उस स्थान को गोबर में लीपकर शुद्ध किया जाता है। बहनें सजा हुआ टोकरी या थाली लेकर पूजा करने हेतु आंगन या अखड़ा में चारों तरफ करम राजा की पूजा करने बैठ जाती हैं।
करमा को प्रकृति का भी त्योहार कहा जाता है पावन मौके पर व्रतियों को कर्मा धर्मा की कथा भी सुनाई जाती है। इस लोक पर्व में कुमारी कन्या व महिलाएं और बच्चे भी उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं। इस त्योहार को प्रकृति पर्व भी कहा जाता है। लोग इस पर्व के माध्यम से अच्छी पैदावार की भी कामना करते हैं। इस त्योहार में भाई भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और बहनों की सुरक्षा के प्रति अपना समर्पण भी प्रदर्शित करते हैं। पूजा स्थल पर बने तालाब को भाई अपने बहन का हाथ पकड़ कर उसे पार कराने की भी परंपरा है।