बीएलओ की बैठक में मतदाता सूची सत्यापन की हुई समीक्षा
अगर पॉजिटिव नहीं पाया जाता है तो उसको नॉर्मल जो वायरल फीवर का इलाज होता है वह किया जाता है। इसमें बहुत कुछ ज्यादा इलाज की जरूरत नहीं होती है। जिसमें पेरासिटामोल सबसे प्रमुख हथियार है। चुकी बुखार तेज होता है बदन में दर्द होता है। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने मीडिया के माध्यम से लोगों से अपील की है की दर्द की अन्य गोली कभी भी बिना डॉक्टर के राय से ना लें। पेरासिटामोल ही सबसे सुरक्षित दवा है। अगर तेज बुखार होता है तो पेरासिटामोल से ही उतारने की कोशिश करें। ठंडे पानी से पूरे शरीर को पोंछें ।इससे भी अगर बुखार कम नहीं होता है तो अस्पताल जाकर डॉक्टर को दिखाएं । उन्होंने बताया कि जैसे ही जिला स्तर से पता चलता है कि कोई व्यक्ति पीड़ित है तो उसके घर के करीब 500 मीटर के दायरे में फागिंग करवाते हैं और उसके बाद लार्वा को नष्ट करने के लिए डेंगू फोर्स का छिड़काव करवाते हैं। उन्होंने कहा कि घरों के आसपास साफ-सफाई रखें और मच्छरों को पनपने नहीं दें। अगर कही पानी जमा है तो या तो मिट्टी का तेल डाल दे या उस पानी को फेंक दें । गौरतलब है कि औरंगाबाद में अब तक डेंगू के कुल 28 मरीज मिले हैं। जिसमें 20 मरीज की रिपोर्टिंग पटना से हुई है। जबकि रहनेवाले औरंगाबाद के हैं। जिनका इलाज पटना के अस्पतालों में चल रहा है। डेंगू के आठ मरीज की पहचान सदर अस्पताल में हुई है। जिसमें दो मरीजों को एडमिट कर इलाज किया जा रहा है। बाकी बचे 6 मरीजों का इलाज कर घर भेज दिया गया।