पटना डेस्क: बिहार में साल 2016 में सीएम नीतीश कुमार द्वारा शराबबंदी कानून लागू किया गया था, जिसको लेकर कई तरह के कड़े नियम भी बनाए गए थे। लेकिन समय-समय पर इन नियमों में संशोधन भी हुए हैं, जिससे शराब पीने वालों को राहत भी मिली है।
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एक रिपोर्ट के अनुसार इस बार जो निर्णय लिया गया है उससे राज्य के अंदर वाहन मालिकों को बड़ा फायदा मिलने वाला है। अब शराब के साथ धरे गए वाहन के मालिक को जल्दीबाजी में अभियुक्त नहीं बनाया जाएगा। बल्कि जांच और सत्यापन के बगैर वाहन मालिकों को आरोपी बनाने से विभाग को बचना होगा। मद्य निषेध विभाग ने निर्देश जारी किया है। इसमें शराब के साथ धरे गए वाहन के मालिक को अब जांच के बाद ही अभियुक्त बनाया जाएगा।
वहीं, मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग के संयुक्त आयुक्त श्रीकृष्ण पासवान ने सभी सहायक आयुक्त मद्य निषेध और सभी अधीक्षक मद्य निषेध को पत्र भेजा है। इसमें कई बिंदुओं पर निर्देश जारी किया है। इसमें सभी जिलों के उत्पाद अधीक्षकों को कहा गया है कि, शराब के साथ पकड़ी गाड़ियों की जांच कर लें। उनके मालिकों तक पहुंचने और उनकी संलिप्तता सिद्ध करने की कोशिश करें। ऐसा नहीं करने से कई बार असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है।
हम आपको बता दें बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच हमेशा मतभेद होता आ रहा है। कुछ लोग चाहते हैं कि शराबबंदी कानून हटा दिया जाए। जबकि सीएम नीतीश कुमार अपने बात पर अड़ीग है कि वह शराब बंदी कानून नहीं हटाने वाले हैं। पिछले दिनों जहरीली शराब से कुछ लोगों की भी मौत हुई थी। उन्हें सरकार की तरफ से मुआवजा देने का भी ऐलान किया गया है।