पटना डेस्क: बिहार में चिराग पासवान अपनी पार्टी के इकलौते सांसद है। दूसरी तरफ उनके चाचा के नेतृत्व वाले लोजपा में 5 सांसद हैं। फिर भी चिराग पासवान इन दिनों काफी मजबूत हो गए है। वह बिहार की राजनीति में हॉट केक बन चुके हैं। जिसके बाद अब लोग कई तरह के सवाल उठा रहे हैं ।
दरअसल पिछले कई सालों से चिराग पासवान अपने आप को पीएम मोदी का हनुमान बता रहे थे, जिस वजह से लोगों को लगता था कि वह सिर्फ बीजेपी के ही शुभ चिंतक हैं। लेकिन कुछ खबरें सामने आ रही कि बिहार में कोई बड़ा सियासी उलटफेर भी हो सकता है। क्योंकि महागठबंधन की तरफ से चिराग को साथ आने का आमंत्रण दिया गया है। वह भी तब जब चिराग पासवान ने 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू को गहरा जख्म दिया है। इसके बाद भी चिराग पासवान को नीतीश कुमार ने आइयेगा तो अच्छा लगेगा नोट के साथ इफ्तार पार्टी का आमंत्रन भेजा ये अलग बात है कि चिराग पासवान नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में नहीं पहुंचे।
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हालांकि, चिराग पासवान राबड़ी आवास में आयोजित इफ्तार पार्टी में पहुंचे। यहां उन्होंने नीतीश कुमार के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जिसके बाद बिहार की सियासत में फुसफुसाहट शुरू हो गई है कि चिराग बीजेपी के अलावे दूसरे विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं। आज जब चिराग पासवान से उनके गठबंधन में शामिल होने पर सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कहा कि उनका हमेशा से स्टैंड रहा है कि वह चुनाव से पहले गठबंधन में शामिल होते हैं। इसलिए वह इस मामले में भी कुछ भी नहीं बोल सकते हैं। लोगों का कहना है कि अगर चिराग को बीजेपी से हाथ मिलाना है तो वह इतनी देरी क्यों कर रहे हैं।
वहीं, गौर करने वाली बात यह है कि चिराग पासवान इससे पहले यह कहते रहे हैं कि वह बीजेपी के साथ हैं। अब चिराग पासवान यह बयान दे रहे हैं। इसके बाद सवाल उठ रहा है कि हाल के दिनों में जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है। चिराग पासवान का इफ्तार पार्टी में जाना,तेजस्वी यादव से मिलना और नीतीश कुमार का पैर छूकर आशीर्वाद लेना क्या यह उसका साइड इफेक्ट हैं? या वह इस बयान के जरिए बीजेपी पर दवाब बना रहे हैं कि उनको लेकर पार्टी जल्दी फैसला करे नहीं तो उनके पास और भी विकल्प हैं। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि चिराग के ऐसे बयान से बीजेपी और खुद पीएम मोदी उनसे नाराज हो सकते हैं, जो उनके लिए अच्छा नहीं है।