पटना डेस्क: बिहार के सीएम नीतीश कुमार पिछले काफी दिनों से बेचैन थे। क्योंकि कुशवाहा की वजह से जेडीयू को काफी डैमेज हुआ था। लेकिन अब फिर नीतीश कुमार ने जनता दल यूनाइटेड के डैमेज को कंट्रोल करने का पूरा रास्ता निकाल लिया है। जिसमें वह कितने हद तक सफल होते हैं। यह आगे जाकर ही पता चलने वाला है।
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दरअसल, कुशवाहा से हुए नुकसान की भरपाई नीतीश कुमार कुशवाहा से ही करने में लगे हुए हैं। जेडीयू की जो राष्ट्रीय कमेटी घोषित की गई है, उसे देखकर तो यही लगता है। नीतीश कुमार की पार्टी की नई राष्ट्रीय कमेटी हो या फिर राज्य कमेटी, हर जगह कुशवाहा समाज के नेताओं की भीड़ बढ़ गई है। इसके अलावा नीतीश कुमार और ललन सिंह ने गुलाम रसूल बलियावी को बड़ा पद देकर मुसलमानों के राजद और ओवैसी की पार्टी की ओर बढ़ते रुझान को रोकने की कोशिश की है।
वहीं, इतना तो तय है कि जेडीयू उपेंद्र कुशवाहा से हुए नुकसान को लेकर बेहद संजीदा है और हर हाल में वह कम से कम नुकसान की कवायद में जुटी हुई है। कहा जा रहा कि यादव वोटों के बाद पिछड़ी जाति में सबसे ज्यादा 6 से 7 फीसद वोट कुशवाहा समाज के पास है। बीजेपी ने भी शायद यही सोचकर सम्राट चौधरी को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाया है। उपेंद्र कुशवाहा के रहते जेडीयू के पास इस समुदाय के वोटों पर होल्ड था, जो अब खत्म होता दिख रहा है, क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार को लगातार निशाने पर ले रखा है। उपेंद्र कुशवाहा के जाने के बाद नीतीश कुमार पहले से कमजोर हुए हैं। उपचुनावों में कुशवाहा वोट बैंक का असर देखने को मिला था।